नई दिल्ली। डायबिटीज एक पॉलीजेनेटिक डिजीज है। टाइप वन डायबिटीज की बात करें तो अगर ये पेरेंट्स को है तो बहुत हद तक उम्मीद कर सकते हैं कि ये बच्चों को भी होगा। अब बच्चों में अगर दो बच्चे हैं और उनमें से एक को इसकी समस्या हो गई है, तो भी पूरी उम्मीद है कि सिबलिंग को भी जल्द इसकी समस्या हो सकती है। यहां एक बात गौर करने वाली है कि वो समय कुछ और था जब माना जाता था कि उम्र बढ़ने पर डायबिटीज होगा। अब तो 15 साल की उम्र में भी ये डिटेक्ट हो सकता है।
हार्ट पेशेंट्स के लिए खतरनाक
शुगर लेवल का हाई होना कार्डियक पेशेंट्स के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इससे हार्ट फेल्योर के चांसेज भी साथ ही साथ बढ़ने लगते हैं। बढ़ता हुआ शुगर का लेवल हमारे हार्ट की पंपिंग को डिस्टर्ब कर देता है, जिससे आमतौर पर क्लॉटिंग का खतरा एक लेवल से ज्यादा बढ़ सकता है।
शुगर का लेवल हाई होने पर होने वाले कॉम्प्लीकेशंस
डायबिटीज के कारण हमारी किडनी खराब हो सकती है। हमारी नसें खराब हो सकती हैं और हमारी आंखों की सूक्ष्म नसों पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा हार्ट की नसों को भी डायबिटीज की वजन से नुकसान हो सकता है, बल्कि मेडिकल से रिलेटेड प्रेजेंट डाटा पर अगर नजर डालें तो मालूम पड़ रहा है कि प्रेजेंट सिनेरियो में किडनी फेल्योर के केसेज डायबिटीज के कारण ज्यादा सामने आ रहे हैं। ऐसे में किडनी से जुड़े इश्यूज पर ध्यान देने की जरूरत है।
ऐसे डील करें स्ट्रेस
कोविड के दौर में स्ट्रेस का होना आम बात है पर हमें कोशिश करनी चाहिए कि उस स्ट्रेस को जितना हो सकते खुद से दूर रखें खासकर कार्डियक पेशेंट्स। नॉर्मल लाइफ में ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। सबसे जरूरी चीज़ है कि बैलेंस्ड डाइट का बहुत गंभीरता के साथ ख्याल रखें। इन सबके बाद भी अगर किसी तरह की समस्या की आहट सुनाई दे रही हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से कंसल्ट करें।