धार्मिक मुद्दों को लेकर होने वाले विवाद आइएस के आकाओं को युवाओ को आतंकी बनाने में मददगार साबित होते हैं। आतंकी सोशल मीडिया पर इन मुद्दों को लेकर टिप्पणी (कमेंट) करने वाले युवकों पर नजर रखते है।
पांच राज्यों में पकड़े गए आइएस के चार आतंकियों ने जांच एजेंसियों को बताया कि सोशल मीडिया पर उनके कमेंट के जरिये ही लीबिया व अफगानिस्तान में बैठे आइएस के आतंकियों ने उनसे संपर्क किया था। आतंकी युवाओं में धार्मिक कट्टरता पैदा कर उनकी भावनाओं को भड़काते हैं। आइएस से वह फेसबुक के जरिये जुड़े थे। टेलीग्राम और थ्रीमा जैसे मैसेंजर एप पर ग्रुप बनाकर आपस में बातचीत करते थे।
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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक लीबिया और अफगानिस्तान में बैठे आइएस के आतंकी धार्मिक मुद्दों पर फेसबुक, ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर युवाओं की पोस्ट व टिप्पणियों पर नजर रखते हैं। वे संगठित होकर काम करते हैं। जिसे जो निर्देश मिलता है, वह उसे डायरी में नोट कर लेता है।
छह महीने तक पोस्ट पर नजर रखने के बाद आतंकी सोशल मीडिया के जरिये ही संपर्क करते है। इसके बाद सिक्योर मैसेंजर सर्विस के जरिये युवाओं से बातचीत कर उनके दिमाग में धार्मिक कट्टरता का जहर घोलते हैं। संतुष्ट होने पर युवाओं को जिम्मेदारी दी जाती है।
मुंबई से गिरफ्तार किया गया बिजनौर निवासी नाजिम आइएस के ग्रुप को संगठित करने व फंड जुटाने का काम करता था। धार्मिक मामलों की जानकारी होने के कारण मुफ्ती उर्फ जीशान को प्रचारक के साथ असलहों का इंतजाम करने का काम दिया गया था।
नाजिम व मुफ्ती भारत में आइएस के दो मुख्य सूत्रधार थे, जो पूरे देश में नेटवर्क तैयार करने में जुटे थे। आतंकी देश मे माहौल खराब करना चाहते थे। ये सभी आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर समेत देश के अन्य हिस्सों में धमाके की साजिश रच रहे थे।