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स्कूली इमारत को प्रवासी मजदूरों ने वंदे भारत एक्सप्रेस से बदला

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भोपाल। कोरोना काल में तरह-तरह के नवाचार हुए हैं और अपने घरों को लौटे प्रवासी मजदूरों ने अपने कौशल और कला से कई स्थानों की तस्वीर ही बदल दी हैं, ऐसा ही कुछ हुआ है सतना जिले के जिगनाहट गांव में जहां क्वारंटाइन सेंटर में ठहरे मजदूरों ने स्कूल को वंदे भारत एक्सप्रेस का रूप दे दिया है।

सतना जिले की उचेहरा जनपद में है जिगनाहट ग्राम पंचायत। यहां के सरकारी स्कूल को क्वारंटाइन सेंटर में बदला गया है और बाहर से आने वाले मजदूरों को यहां ठहराया गया। रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई गए मजदूर जब अपने घरों को लौटे तो उन्हें 14 दिन इसी स्कूल की इमारत में क्वारंटाइन किया गया। इन मजदूरों ने अपने क्वारंटाइन अवधि के दौरान स्कूल की रंगत ही बदल दी है।

मुंबई से लौटे यह मजदूर पुताई का काम करते थे और उन्होंने अपनी क्वारंटाइन अवधि के दौरान स्कूल की सूरत बदलने की ठानी और इसमें उनका साथ दिया ग्राम पंचायत ने। पंचायत ने रंगाई-पुताई का सामान दिया तो मजदूरों ने विद्यालय की इमारत को वंदे भारत एक्सप्रेस का ही स्वरुप दे डाला।

मुंबई से लौटे प्रवासी श्रमिक अशोक कुमार विश्वकर्मा ने बताया है कि मुम्बई से लौटने पर घर जाने से पहले सरकारी स्कूल में उन्हें क्वारंटाइन किया गया था, यहां हम लोग 14 दिन रूके। इस दौरान हम लोगों ने मिलकर स्कूल का स्वरूप बदल दिया।

गांव के सरपंच उमेश चतुर्वेदी ने बताया है कि क्वारंटाइन सेंटर में ठहरे मजदूरों ने काम मांगा और कहा कि हमें कुछ सामान लाकर दीजिए, जिस पर उन्हें पुताई का सामान लाकर दिया गया। इन प्रवासी मजदूरों ने इस स्कूल की सूरत ही बदल दी है और इस विद्यालय को अब गांव के लोग वंदे भारत एक्सप्रेस के तौर पर पुकारने लगे हैं।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मजदूरों के कार्य की सराहना करते हुए कहा, “यह रचनात्मक प्रयास बच्चों को स्कूल आने और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा। मुझे विश्वास है कि यह नया वातावरण बच्चों के सपनों को नई उड़ान देगा, उन्हें विशिष्टता की अनुभूति करायेगा। इस अद्भुत रचनात्मक प्रयास के लिए श्रमिक बंधुओं का अभिनंदन और टीम को शुभकामनाएं।”

इससे पहले बैतूल जिले में भी प्रवासी मजदूरों ने ढावा स्थित विद्या भारती के छात्रावास का स्वरुप बदल दिया था। यहां आए मजदूरों ने अपनी क्वारंटाइन अवधि में छात्रावास इमारत की पुताई तो की ही थी, साथ में खजूर के पत्तों से झाडू व पत्ता से खाने के दौने पत्तल भी बनाए थे।

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