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हमारी जिम्मेदारी छात्रों को सुरक्षित रखना- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

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देहरादून। स्कूली छात्रों का वर्तमान और भविष्य सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। स्कूल के भवनों के रूपांतरण के साथ ही वहां पर शिक्षा एवं सुरक्षा का बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने से ही हम छात्रों का वर्तमान के साथ ही भविष्य सुरक्षित करने में सफल हो सकेंगे। हमारा राज्य आपदा की दृष्टि से संवदेनशील होने के कारण विद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों को प्राकृतिक आपदा से बचाव की जानकारी दी जानी भी समय की जरूरत है। यह बात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सस्टेनेबल इनवायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल सोसायटी (सीड्स) एवं हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के तहत 15 स्कूलों का रूपांतरण के पश्चात शिक्षा विभाग को सौंपे जाने के दौरान कही।

गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए किए गए कार्यो के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष की भी चुनौती रही है, इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष से संबंधित देश का पहला प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा।

कहा कि विद्यालयों में शिक्षा के अनुकूल माहौल से छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सीड्स एवं हनीवैल द्वारा देहरादून एवं हरिद्वार के चार विकासखंडों के 15 जर्जर स्कूलों का जीर्णोधार कर अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा मुकुल सती एवं एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर वन्दना गब्र्याल को सौंपे गए।

छात्रों को घर-घर जाकर दिया प्रशिक्षण

सीड्स के सह संस्थापक डॉ. मनु गुप्ता ने कहा कि हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम शुरू करने से पहले, सीड्स ने इन 100 स्कूलों पर एक आधार स्तर का सर्वेक्षण किया था, जिससे यह पता चला कि लगभग 40 प्रतिशत स्कूलों के भवनों को भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ से उत्पन्न होने वाले खतरों का सामना करना पड़ता है। डॉ. मनु ने बताया कि 2019 में शुरू किए गए हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के तहत अब तक हरिद्वार और देहरादून में 100 सरकारी स्कूलों में 11,000 से अधिक विद्यार्थियों, 3,000 अभिभावकों और 900 शिक्षकों को स्कूल की सुरक्षा पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कोरोना के बाद इसमें थोड़ी समस्या जरूर आई, लेकिन अब बच्चों को घर-घर जाकर भी यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस अवसर पर हनीवैल के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिता चौहान, डीआइजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल, हनीवैल इंडिया के अध्यक्ष डॉ. अक्षय बेलारे समेत अन्य लोग ने भी अपने विचार रखे।

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