लखनऊ। उत्तर प्रदेश को नए भारत का ग्रोथ इंजन बनाने की कड़ी में आज से राजधानी लखनऊ में आयोजित निवेशकों के तीन दिवसीय महाकुंभ में नया इतिहास लिखा जाएगा। लखनऊ के वृंदावन योजना में 10 से 12 फरवरी तक आयोजित होने वाले यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 में देश-दुनिया की दिग्गज कारपोरेट हस्तियां उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने में साझीदार बनती दिखाई देंगी। यूपीजीआइएस-23 के माध्यम से 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्तावित निवेश न सिर्फ उत्तर प्रदेश की आर्थिक विकास दर को गति देगा बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का जरिया बन युवाओं के सपनों को भी साकार करेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समापन समारोह की मुख्य अतिथि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समिट के भव्य समारोह का शुभारंभ करेंगे जबकि 12 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समापन समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। निवेशकों के इस तीन दिवसीय महासम्मेलन में 22 केंद्रीय मंत्री उत्तर प्रदेश की प्रगति के संदर्भ में डबल इंजन की सरकार के विजन को साझा करेंगे।
देश और प्रदेश के विकास का खाका रखेंगे मंत्री
इस दौरान अलग-अलग सत्रों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी, नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया सहित मोदी सरकार के तमाम मंत्री सरकार की नीतियों से निवेशकों को अवगत कराएंगे।
10 हजार छोटे-बड़े निवेशक बनेंगे महाकुंभ का हिस्सा
रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी, टाटा संस के के चंद्रशेखरन, बिड़ला समूह के कुमार मंगलम बिड़ला, महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा जैसी हस्तियां निवेशकों का प्रतिनिधित्व करती नजर आएंगी। यूपीजीआइएस में चालीस देशों से 400 से अधिक डेलीगेट्स अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। विदेश से भी 7.12 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा। देश के विभिन्न हिस्सों से 10 हजार छोटे-बड़े निवेशक महाकुंभ का हिस्सा बनेंगे। उल्लेखनीय है कि यूपीजीआइएस-23 के माध्यम से सरकार ने शुरुआत में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाने का तय किया था।
यूपी का जीएसडीपी 20.48 लाख करोड़ रुपये अनुमानित
देश-दुनिया के निवेशकों से मिले उत्साहजनक निवेश प्रस्तावों के दृष्टिगत सरकार को अपना लक्ष्य बढ़ाना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि यूपीजीआइएस के माध्यम से प्राप्त होने वाला निवेश उत्तर प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के आंकड़े को पार करेगा। चालू वित्तीय वर्ष में यूपी का जीएसडीपी 20.48 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है। अब निवेश का आंकड़ा 30 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है। इसमें करीब एक चौथाई हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों की होगी।
नहीं आएंगे गौतम अदाणी
अदाणी समूह के गौतम अदाणी यूपीजीआइएस-23 का हिस्सा नहीं बनेंगे। अदाणी ने वर्ष 2018 में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट में उपस्थिति दर्ज कराई थी। इस बार भी उनका समिट में शामिल होना तय माना जा रहा था लेकिन शीर्ष उद्यमियों की संशोधित सूची में उनका नाम नहीं है। बता दें कि अदाणी समूह यूपी में डिफेंस कारिडोर, लाजिस्टिक्स समेत अन्य सेक्टर में बड़ा निवेश कर रहा है।
पार्टनर कंट्री : यूनाइटेड किंगडम, जापान, साउथ कोरिया, नीदरलैंड, सिंगापुर, डेनमार्क, मारिशस, आस्ट्रेलिया, यूएई व इटली।
इन दिग्गज कारपोरेट हस्तियों की होगी जुटान
मुकेश अंबानी (रिलायंस), के चंद्रशेखरन (टाटा संस), कुमार मंगलम बिड़ला (आदित्य बिड़ला ग्रुप), आनंद महिंद्रा (महिंद्रा समूह), मुकेश अघी (यूएसआइएसपीएफ), स्वाति दलाल (एबाट न्यूट्रिशन), नवनीत अग्रवाल (अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स), महेश सुगरू (टाटा मोटर्स), उदय सिन्हा (एकाना ग्रुप), आदिल जैदी (अर्नेस्ट एंड यंग), धीरज कपूर (फ्लिपकार्ट), ध्रुव गलगोटिया (गलगोटिया यूनिवर्सिटी), दिनेश गुप्ता (ग्रीन प्लाई), राजीव गर्ग (हल्दीराम ग्रुप), संजीव कक्कड़ (इंडियन आयल कारपोरेशन), प्रदीप दीक्षित (आइटीसी), आशीष अग्रवाल (जेबीएम ग्रुप), अमर सिन्हा (रेडिको खेतान), डेनियल बिर्चर (ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया), नामसू पार्क और ह्यू किम (सैमसंग), प्रदीप कुमार गुप्ता (शारदा यूनिवर्सिटी), कैलाश चंद्र झंवर (अल्ट्रा टेक सीमेंट), डा. जगदीश गुलाटी (यूनाइटेड ग्रुप) सहित तीन सौ से ज्यादा शीर्ष उद्यमी इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होंगे।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सर्वाधिक निवेश के आसार
अब तक जो निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, उनमें मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सर्वाधिक निवेश के आसार दिखाई दे रहे हैं। करीब 56 प्रतिशत निवेश इसी सेक्टर से आता दिख रहा है। जबकि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 15 प्रतिशत निवेशकों ने रुचि दिखाई है। आधारभूत संरचना के क्षेत्र में आठ प्रतिशत, टेक्साइटल में सात प्रतिशत, पर्यटन में पांच प्रतिशत, शिक्षा में तीन प्रतिशत, आइटी व इलेक्ट्रानिक्स में दो प्रतिशत तथा वेयरहाउस, लाजिस्टिक्स, हेल्थकेयर व फार्मा के क्षेत्र में एक-एक प्रतिशत निवेश होने की संभावना है।
रोजगार के खुलेंगे द्वार
अब तक हुए निवेश करार और निवेश सहमति रोजगार के सुखद आंकड़ों की तस्वीर पेश कर रही है। यदि मौजूदा निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतरते हैं तो इससे प्रदेश में दो करोड़ से अधिक अधिक रोजगार सृजित होंगे। पचास करोड़ तक निवेश करने वाली छोटी इकाइयों से 1.37 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन का अनुमान लगाया गया है। जबकि 50-200 करोड़ का निवेश करने वाली कंपनियां 20.07 लाख रोजगार देंगी। 200-500 करोड़ का निवेश करने वाली कंपनियों से 4.27 लाख से अधिक रोजगार सृजन की संभावना आंकी गई है। वहीं 500-3000 करोड़ का निवेश करने वाली कंपनियां 18.56 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देंगी। 3000 करोड़ से अधिक का निवेश प्रस्ताव देने वाली मेगा कंपनियों ने 15.48 लाख रोजगार देने की सहमति अपने निवेश प्रस्तावों में दी है।
निवेशकों को लुभा रहा पश्चिमांचल
उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा जिसे पश्चिमांचल भी कहा जाता है निवेश खींचने में सबसे अधिक सफल रहा है। कुल निवेश प्रस्तावों और एमओयू का 45 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र के खाते में जाता दिख रहा है। इसकी वजह इस क्षेत्र का दिल्ली से जुड़ाव और यहां का बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर भी बताया जा रहा है। पश्चिमांचल के साथ ही प्रदेश का पूर्वी हिस्सा यानी पूर्वांचल भी निवेशकों को लुभा रहा है। इस क्षेत्र को भी औद्योगिक नीति के तहत कई तरह की रियायतें मिली हैं। अब तक हासिल निवेश प्रस्तावों का 29 प्रतिशत हिस्सा पूर्वांचल को मिलता दिख रहा है। वहीं, मध्यांचल और बुंदेलखंड को 13-13 प्रतिशत निवेश के प्रस्ताव मिले हैं।