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2 साल में 12 हज़ार लोगों से नौ लाख डालर की ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भांडाफोड़, जानिए कौन है इसका मास्टरमाइंड

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नोएडा, कानपुर। दिल्ली-एनसीआर के अलावा कई अन्य शहरों में भी फर्जी काल सेंटर से विदेशियों को ठगने की साजिश की जा रही है। आए दिन इस तरह के फर्जी काल सेंटरों का भंडाफोड़ पुलिस की टीमें कर रही हैं। इनमें कई सफेदपोश लोगों के शामिल होने की जानकारी भी पुलिस को मिल चुकी है।

फर्जी अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर की आड़ में अमेरिकी कंपनियों और वहां के लोगों के कंप्यूटर सर्वर पर मालवेयर वायरस भेजकर डाटा हैक करने के बाद उसे रिकवर कराने के नाम पर डिक्रिप्शन कोड भेजकर करोड़ों रुपये ठगने वाले गैंग का पर्दाफाश कर चार शातिरों को क्राइम ब्रांच ने काकादेव से दबोचा है। पुलिस ने 27 हार्ड डिस्क, विभिन्न बैंकों के 16 एटीएम कार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक का डेबिट कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, दो पैन कार्ड, पांच मोबाइल फोन और होटल ताज की सदस्यता का कार्ड आदि दस्तावेज बरामद किए हैं।

बैंक स्टेटमेंट से नौ लाख डालर का ट्रांजेक्शन होने और 12 हजार लोगों को शिकार बनाए जाने के सुबूत मिले हैं। पुलिस अब पीडि़तों को ई-मेल भेजकर उनसे शिकायतीपत्र लेने की कोशिश कर रही है। आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी व आइटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि पिछले दिनों काकादेव क्षेत्र के एक शख्स ने ओम चौराहे के पास एक भवन में अंतरराष्ट्रीय काल सेंटर चलने की सूचना दी थी। बताया कि काल सेंटर के कर्मचारी अमेरिकी कंपनियों, लोगों के सिस्टम पर एड या ¨लक के रूप में मालवेयर वायरस भेजते हैं। इससे कंप्यूटर व सर्वर का डाटा इनक्रिप्ट हो जाता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर सिस्टम ठीक कराने के लिए एक नंबर प्रदर्शित होने लगता है।

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डाटा हैक होने पर पीडि़त जब उस नंबर पर फोन करता है तो काकादेव स्थित काल सेंटर में बैठा कर्मचारी सिस्टम ठीक करने का झांसा देकर 200 या 300 डालर की रकम मांगता है। ये कर्मचारी खुद को कभी माइक्रोटेक तो कभी एचपी या डेल जैसी कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर बात करते। बैंक खातों में रकम जमा कराने के बाद उसे डिक्रिप्शन कोड भेजकर डाटा रिकवर करा देते थे। डीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में नोएडा सेक्टर 25 में रहने वाले सेवानिवृत्त एयरफोर्स अधिकारी का बेटा काल सेंटर संचालक मो¨हद्र शर्मा, फीरोजाबाद निवासी संजीव कुमार गुप्ता, प्रतापगढ़ निवासी मो. जिरकुल्ला और मूलरूप से बिहार व वर्तमान में काकादेव के शारदा नगर निवासी सूरज सुमन शामिल हैं।

मोहिंद्र ने कुछ साल पहले पुणे विवि के इंजीनियरिंग कालेज से कंप्यूटर साइंस एंड इंफार्मेशन टेक्नोलाजी में बीटेक पास किया था। आरोपित ने बताया कि पिछले वर्ष लाकडाउन के दौरान वह दिल्ली की एक कंपनी के संपर्क में आया था। उसकी एक ब्रांच अमेरिका में भी है। उसी कंपनी के अधिकारी के कहने पर लोगों को साफ्टवेयर सपोर्ट देने के लिए उसने काल सेंटर बनाया था। इसका बैक आफिस नोएडा में भी है। डीसीपी ने पुलिस टीम को 20-20 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है।

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