लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुई हत्या के एक मामले में 46 वर्षों से जेल में बंद 81 वर्षीय केशव प्रसाद अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। अभिलेखों के नहीं मिल पाने के कारण उनकी रिहाई पर विचार नहीं हो पा रहा है। अब यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पहुंचा है।
हाई कोर्ट ने याची की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने पूरे मामले पर जवाब तलब भी किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी। जस्टिस राजन राय व जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने यह आदेश केशव प्रसाद की याचिका पर दिया है।
सीतापुर के रहने वाले केशव प्रसाद इस समय बरेली जेल में निरुद्ध है। वह सीतापुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में वर्ष 1974 में हुई हत्या के एक मामले में आरोपी था। जिला अदालत ने इस मामले में उसे 18 दिसंबर 1976 को दोषसिद्ध करार दिया था व आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जिला अदालत के दोषसिद्धि के आदेश को याची ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी। हालांकि 2 सितंबर 1988 को हाई कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी व आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि दोषसिद्धि की तिथि से ही याची जेल में है।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद यह तथ्य सामने आया कि 22 जनवरी 2001 को याची को सीतापुर जेल से बरेली जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। बरेली जेल प्रशासन का कहना है कि जेल में हुए एक अग्निकांड में तमाम अभिलेखों के साथ याची के भी अभिलेख नष्ट हो गए।
उधर हाई कोर्ट में भी याची से संबंधित पत्रवालियों का कोई पता नहीं चल सका है। इस वजह से उसकी रिहाई नहीं हो पा रही है। इस पर हाई कोर्ट ने याची की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने पूरे मामले पर जवाब तलब भी किया है।