इस अभियान का उद्देश्य है भिक्षुओं को एक स्वाभिमानी जीवन देना : महामंडलेश्वर राधा सरस्वती
हम सभी जानते हैं दो वक्त की रोटी के लिये किसी के आगे हाथ फैलाना अपने-आप में अपने जमीर को मारने जैसा है। लेकिन ये किसी से छुपा नहीं है कि भिक्षावृत्ति के उदाहरण अक्सर सड़क किनारे,धार्मिक स्थलों के आस-पास या चौक-चौराहों पर दिख जाते हैं। एक संजीदा नागरिक के रूप में आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि क्या भीख मांग रहे ये लोग अपनी विवशता के कारण ऐसी हालत में हैं या फिर ये किसी साजिश के शिकार हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस संबंध में अभी तक कोई बेहतर मैकेनिज्म नहीं बन पाया है।
दरअसल, गरीबी, भुखमरी तथा आय की असमानताओं के चलते देश में एक वर्ग ऐसा है, जिसे भोजन, कपड़ा और आवास जैसी आधारभूत सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं हो पातीं। यह वर्ग कई बार मजबूर होकर भीख मांगने का विकल्प अपना लेता है। भारत में आय की असमानता और भुखमरी की कहानी तो ग्लोबल लेवल की कुछ रिपोर्टों से ही जाहिर हो जाती है।
इसके साथ ही भिक्षावृत्ति की आदत बहुत से ऐसे लोगो मैं भी देखी जाती हैं जो आलस्य, काम करने की कमजोर इच्छा शक्ति आदि के कारण भिक्षावृत्ति अपनाते हैं। भारत में कुछ जनजातीय समुदाय भी अपनी आजीविका के लिये परम्परा के तौर पर भिक्षावृत्ति को अपनाते हैं। लेकिन यहाँ पर गौर करने वाली बात ये है कि भीख मांगने वाले सभी लोग इसे ऐच्छिक रूप से नहीं अपनाते।
अतः भिक्षावृक्ति जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए योगिनी गुरु मां के सानिध्य और दिशा निर्देशन में एक अभियान शुरू किया गया है जिसका नाम है
“भिक्षा से शिक्षा की ओर”…..
माता जी का मानना है यदि व्यक्ति शिक्षित होगा उसका मनोबल उच्च स्तर का होगा जब मनोबल उच्च स्तर का होता है तो स्वाभिमान भी उच्च स्तर का हो जाता है।
इस देश के हर नागरिक को उच्च स्तर का जीवन देने के लिए, स्वाभिमानी जीवन देने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई है।
आप सभी भक्तों से अनुरोध है कि वह इससे जुड़े और अभियान को सफल बनाएं।