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एनजीटी ने रिज इलाके में पेड़ों को काटने पर लिया स्वत: संज्ञान, रक्षा मंत्रालय से मांगा जवाब

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने रक्षा मंत्रालय के सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और उपाध्यक्ष, दिल्ली विकास प्राधिकरण को सेंट्रल रिज पर 8.7 हेक्टेयर भूमि को साफ करते समय पेड़ काटने से संबंधित मामले में नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने एक अखबर की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में तीन पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए अखबार की रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि ये पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दे का खुलासा करता है.वहीं एनजीटी के नोटिस को स्वीकार करते हुए मंत्रालय के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा है. मामले की अगली सुनवाई छह मार्च को की जाएगी.

‘नियमों का उल्लंघन कर पेड़ों को काटा गया’

दरअसल, 18 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में वन विभाग की ओर से दावा किया गया था कि सेंट्रल रिज पर दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994, वन संरक्षण अधिनियम 1980 और भारतीय वन अधिनियम 1927 का उल्लंघन करके पेड़ों को काटा गया था. बता दें कि वन विभाग ने  सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल को जारी किए गए नोटिस में कहा था कि सेंट्रल रिज पर 8.7 हेक्टेयर भूमि को साफ करते समय पेड़ काटना वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन है.

नोटिस में सेना मुख्यालय क क्वार्टर मास्टर जनरल को निर्देश दिया गया था कि वह रिपोर्ट पेश करें कि इस अपराध के लिए उनके खिलाफ शिकायत क्यों नहीं दर्ज की जानी चाहिए. नोटिस में कहा गया था कि  24 मई 1994 को सेंट्रल रिज को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा चार के तहत आरक्षित वन घोषित किया गया है. इस नोटिस के जवाब में सेना ने तब कहा था कि, वो वन और वन्यजीव विभाग द्वारा सेंट्रल रिज के क्षेत्र में उजागर किए गए उल्लंघन के विवरण की जांच कर रही है. आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. नोटिस के जवाब में सेना ने कहा था कि उसके द्वारा शुरू की गई नई परियोजनाओं के निर्माण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग से एनओसी प्राप्त की जाती है. सेना ने नोटिस का जवाब देते हुए था कि उनकी निर्माण परियोजनाओं के लिए आवश्यक मंजूरी ली गई है.

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