यूपी विधानसभा के बजट सत्र में शनिवार को ‘उत्तर प्रदेश लिफ्ट और एस्केलेटर एक्ट 2024’ ध्वनि मत से पारित हो गया. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इसका प्रस्ताव रखा. लंबे समय से लिफ्ट और एस्केलेटर को लेकर यूपी में कानून की मांग होती रही है. अब ये विधेयक विधान परिषद में जाएगा.
दरअसल नोएडा, गाजियाबाद और एनसीआर क्षेत्र की हाईराइज सोसायटी में पिछले कुछ समय से लिफ्ट में दुर्घटनाएं होती रही हैं. इसके लिए जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होता है. ऐसे किसी विवाद और दुर्घटना की स्थिति में स्पष्ट कानून के लिए इस एक्ट का सहारा लिया जा सकेगा.
इसकी मांग करते हुए कई जनप्रतिनिधियों खासतौर पर गौतमबुद्ध नगर के जेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह ने इसकी पहल की थी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ऊर्जा विभाग इसका मसौदा तैयार कर रहा था.
बिना रेजिस्ट्रेशन नहीं होगा लिफ्ट का संचालन
लिफ्ट एक्ट के लागू होने के बाद यूपी में बिना रेजिस्ट्रेशन लिफ्ट या एस्केलेटर का संचालन नहीं हो सकेगा. लिफ्ट या एस्केलेटर में किसी भी दुर्घटना की स्थिति में बीमा (Insurance) का लाभ मिल सकेगा. इसके लिए ऐन्यूअल मेंट्नेन्स (AMC)करने वाली कंपनी या एजेंसी की जिम्मेदारी होगी. लिफ्ट या एस्केलेटर लगाते समय ही इसकी पूरी प्रक्रिया की जाएगी कि एजेंसी की जवाबदेही तय हो सके.
किसी भी लिफ्ट या एस्केलेटर के रेजिस्ट्रेशन के समय ही इस बात का लिखित निर्देश होगा कि हर साल एएमसी के बाद इसकी प्रति जमा की जाए. इस बात को अक्सर देखा गया है कि वार्षिक अनुरक्षण (मेंटेनेंस) न होने की वजह से लिफ्ट में खराबी आती है, जो दुर्घटना का कारण बनती है.
इस कानून के लागू होने के बाद और एस्केलेटर में किसी भी ‘मानव’ या ‘पशु’ की दुर्घटना की स्थिति में एजेंसी या स्वामी (ट्रस्ट या RWA) द्वारा जिम्मेदार अधिकारी को 24 घंटे के अंदर सूचित करना जरूरी होगा. लिफ्ट एक्ट के अनुसार, सुरक्षा के लिए उपकरणों (Safety Devices) लगाना और उनका प्रयोग सुनिश्चित करना भी जरूरी होगा.
इसकी वार्षिक जांच भी की जाएगी. अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है कि इन उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है तो जांच के बाद लिफ्ट या एस्केलेटर के स्वामी पर अर्थदंड लगाया जाएगा. सार्वजनिक स्थलों पर लगी लिफ्ट और एस्केलेटर में लॉगबुक रखना भी जरूरी होगा. इसे लोग मेंटेनेंस के लिए देख सकें.
साल में दो बार करना होगा मॉकड्रिल
कुछ और जरूरी नियम भी इस एक्ट के अनुसार तय किए जाएंगे. साल में दो बार मॉकड्रिल करना होगा. लिफ्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए इस कानून के तहत सुरक्षा संबंधी बातों को सुनिश्चित करना जरूरी होगा. पहले से लगी लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए 6 महीने की समय सीमा में आवेदन करना जरूरी होगा. सभी उपकरणों को लगाने के लिए 30 महीने का समय मिलेगा. ये विधेयक विधान परिषद में पारित होने के लिए जाएगा.
इस कानून की जरूरत को लेकर जहां ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि आधुनिकीकरण और हाईराइज बिल्डिंग बढ़ने के साथ लोग इसमें होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर संबंधित शहरों के प्राधिकरणों के पास शिकायत कर रहे थे.
बिल के लिए पहल करने वाले जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने सदन में बोलते हुए कहा ‘जिस तरह से हाईराइज बिल्डिंग हैं और शहरीकरण का दौर बढ़ा है, ये विधेयक मील का पत्थर होने जा रहा है. पिछले दिनों दुर्घटनाएं हुईं और लिफ्ट में बच्चे फंस गए. अब एएमसी वो कंपनी करेगी, जो प्रदाता कंपनी होगी. साल में दो बार मॉकड्रिल के साथ ही बीमा का भी प्रावधान है’.