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9 युवतियां, एक काली डायरी और दो सरगना… फर्जी बीमा पॉलिसी बेचकर करोड़ों की ठगी का पूरा खेल समझिए

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नोएडा। क्राइम रिस्पांस टीम (सीआरटी) और सेक्टर-49 कोतवाली पुलिस ने शनिवार को संयुक्त अभियान में लोन दिलाने और बीमा पॉलिसी कराने के नाम पर लोगों से प्रोसेसिंग फीस वसूलकर ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है। इस दौरान 11 आरोपितों को सेक्टर-51 होशियारपुर के पास से गिरफ्तार किया है।

इनकी हुई गिरफ्तारी

आरोपितों की पहचान बिसरख के आशीष कुमार उर्फ अमित, फरीदाबाद के जितेंद्र कुमार वर्मा उर्फ अभिषेक, छलेरा की पूनम उर्फ पूजा, सर्फाबाद की गरिमा चौहान उर्फ सोनिया, बिहार छपरा की निशा उर्फ स्नेहा, भदोही की रेजू उर्फ दिव्या, फिरोजाबाद की लवली यादव, आजमगढ़ की आरती कुमारी उर्फ अनन्या , दिल्ली की काजल कुमारी उर्फ सुर्ती, सरिता उर्फ सुमन, बबीता पटेल उर्फ माही के रूप में हुई है।

गिरोह का सरगना है आशीष

आरोपितों के कब्जे से 25 मोबाइल, 81 डाटा शीट, एक रजिस्टर, एक ब्लैक डायरी, दो फर्जी आधार कार्ड बरामद किए हैं। सेक्टर-51 स्थित शर्मा मार्केट की चौथी मंजिल पर पुलिस को फर्जी कॉल सेंटर चलने की सूचना मिली थी। पुलिस ने छापेमारी कर आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना आशीष है। उसके द्वारा फर्जी कॉल सेंटर को संचालित किया जा रहा था।

बाहर के राज्यों के लोगों को निशाना बनाती थीं युवतियां

कॉल सेंटर में काम करने वाली युवतियां दिल्ली-एनसीआर के बाहर के राज्यों के लोगों को निशाना बनाती हैं। लोगों को फर्जी आधार कार्ड के जरिये लिए गए सिम से फोन करके लोन दिलाने, बीमा पॉलिसी कराने के नाम पर पहले झांसे में लिया जाता है। फिर झांसे में आए लोगों से प्रोसेसिंग, कागजी कार्रवाई के नाम पर ठगी की जाती है। ठगी के बाद आरोपित सिम बदल देते थे।

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इस्तेमाल करते थे फर्जी आइडी के सिम

ठगी की रकम में बड़ी हिस्सेदारी जितेन्द्र और आशीष की होती है। कॉल सेंटर में काम करने वाली महिलाएं सुबह आठ से रात आठ बजे तक फोन करतीं थी। उन्हें प्रतिमाह 10 से 12 हजार रुपये वेतन के साथ कमीशन मिलता था। जो मोबाइल आरोपित उपयोग करते हैं उनमें फर्जी आइडी के सिम लगे होते थे। फर्जी सिम के लिए आरोपित अधिक पैसे देकर और फर्जी आधार कार्ड देकर खरीदते हैं।

10 हजार रुपये के किराये पर लिया बैंक खाता

डीसीपी अपराध शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि आरोपित ने कर्नाटक के अरविंद नाम के एक व्यक्ति का पीएनबी बैंक का एक खाता 10 हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर लिया है। जिसका डेबिट कार्ड उसके पास रहता है। जैसे ही ठगी के पैसे खाते में आते हैं। आरोपित एटीएम से पैसे निकॉल लेता है। आरोपित के पास एक कॉली डायरी मिली है। जिसके अंदर वह पैसे का लेनदेन का हिसाब लिखता है।

दोनों ने ऐसे बनाई ठगी की योजना

आशीष दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकाम का छात्र रहा है। वर्ष 2019 में आशीष और जितेंद्र एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस में पॉलिसी बेचने का काम करते थे। तभी से दोनों परिचित है। इसी दौरान दोनों ने मिलकर ठगी की योजना बनाई। इसी उद्देश्य से आरोपितों ने कॉल सेंटर में युवतियों को रखा था।

आरोपितों ने इंडिया मार्ट की साइट से 2500 रुपये में लगभग 10 हजार लोगों का पूरे भारतवर्ष के डाटा को खरीदकर लोगों को फोन कर पैसे लेने का काम शुरू किया था।

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आरोपित करीब डेढ़ साल से ठगी कर रहे थे। अब तक सैकड़ों लोगों से एक करोड़ से अधिक की ठगी कर चुके हैं। आरोपितों के खिलाफ रांची झारखंड में आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज है।

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