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‘अपने बच्चों की मौत का बदला ले रहे थे भेड़िये’, वन विभाग के एक्सपर्ट ने आदमखोरों की बताई सच्चाई

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उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िया के आतंक के बीच उनके बदला लेने वाली प्रवृत्ति की चर्चा तेज हो गई है. माना जा रहा है कि शायद भेड़ियों के आदमखोर बनने के पीछे एक कहानी है. उनके बच्चों या उनके साथ कुछ ऐसी घटना हुई हो, जिससे वह आदमखोर बन गए और इंसानों के बच्चों को निशाना बनाने लगे.

‘आजतक’ की टीम तफ्तीश करने बहराइच में महसी तहसील के सिसैय्या के नानकार गांव पहुंचा. वहां बच्चों से बात की, तो उन्होंने बातों-बातों में बताया कि मार्च के पहले हफ्ते में एक भेड़िए के बच्चे की मौत हो गई थी. खेल-खेल में वो मर गया था. साइज में छोटा था भेड़िया का बच्चा. बच्चों ने बताया करहौरा में एक मंदिर के पीछे झाड़ियों में मांद थी. वहीं कुछ हुआ था. आजतक ने जगह की जानकारी ली और आगे बढ़ उस मंदिर पर पहुंचा.

मंदिर पहुंचने पर टीम ने वहां बैठे गांव वालों से बात की और इस तरह की घटना की जानकारी ली. इस गांव में सालों से रह रहे मंदिर के पुजारी ने बताया,’ऐसा सुनते हैं कि भेड़िए के एक बच्चे की मौत हो गई थी. इसके बाद मार्च से ही पूरे महसी तहसील में भेड़ियों का आतंक शुरू हुआ और इंसानों के बच्चों पर हमले भी. पुजारी ने कहा इस गांव में उसके बाद से कई बार भेड़िए देखे गए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा उन्होंने खुद नहीं देखा. सुनी-सुनाई बात है. मगर, गांव में इस बात की काफी चर्चा रही है.

क्या बदला लेने के लिए आदमखोर बने भेड़िये?

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बहराइच के रामुआपुर में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. रामुआपारु गांव में पहुंची आजतक की टीम ने जब लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि इन्हीं गन्नों के खेत में भेड़िये मांद बनाकर रहते थे. वहां अब पानी भरा हुआ है और भेड़ियों का कोई नामोनिशान तक नहीं है. यहां गर्मी और ठंड के समय भेड़ियों को कोई समस्या नहीं होती, लेकिन बारिश में पानी भर जाने के कारण इनका घर तबाह हो जाता है. ऐसा हर साल होता है. गांव वालों का कहना है कि इन मांदों में भेड़ियों के बच्चे थे. कुछ महीने पहले जब सिंचाई के कारण इसमें पानी चला गया था तो बच्चे बाहर निकलकर इधर-उधर भाग गए थे. इसके बाद भी भेड़िये यहां रहने आए और उनके बच्चों को देखा गया. उनका कहना है कि भेड़ियों का घर घाघर नदी में आई बाढ़ से तबाह हो गया है. इस कारण पूरा कुनबा यहां से भागने को मजबूर हो गया.​

दरअसल, 4 मार्च 2024 की रात सिसैय्या के नानकार गांव निवासी मलखे के घर भेड़िये ने हमला किया. 6 मार्च रात 11:30 बजे आदमखोर भेड़िया औराही गांव में मां के पास सो रहे 6 साल के बच्चे को उठा कर भागा. परिजनों ने दौड़ाकर किसी तरह बच्चे की जान बचाई. 6 मार्च रात की रात ही वर्मापुरवा में घर के बाहर सो रहे 15 वर्षीय लड़के पर भेड़िये ने हमला किया. यह सभी इलाके घटनास्थल के आस पास के हैं.

यूपी वन निगम महाप्रबंधक और ऑपरेशन भेड़िया को लीड करने वाले अधिकारी संजय पाठक ने ‘आजतक’ से बात करते हुए बताया कि भेड़िए की प्रवृत्ति होती है बदला लेने की और शायद अतीत में इंसानों ने उसके बच्चों को किसी तरह का नुकसान पहुंचाया हो, जिसका बदला लेने के लिए वह यह सब कर रहे हैं.

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20 से 25 साल पहले भी था भेड़िये का आतंक

वाइल्डलाइफ जानकार बताते हैं कि 20 से 25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ इलाकों के कछार में भेड़ियों के हमले से 30 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. जांच में पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़िया की मांद में घुसकर उसके दो बच्चों को मार दिया था. उस वक्त भी भेड़िए आदमखोर हो गए थे और आखिरी में भेड़िए को गोली मारनी पड़ी थी.

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