लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से कानपुर के एसीपी रहे मोहम्मद मोहसिन खान को बड़ी राहत मिली है। मोहम्मद मोहसिन खान कानपुर आइआइटी की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न में फंसे है। नौकरी के नियमों में पत्नी के रहते दूसरी महिला से संबंध प्रथमदृष्टया दुराचरण की श्रेणी में नहीं आता, इस तर्क पर विचार करते हुए कोर्ट ने आइपीएस अधिकारी के निलंबन पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस प्रकरण पर कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
जस्टिस करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने मोहसिन खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। मोहसिन खान को कानपुर आइआइटी की छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में निलंबित किया गया है। याची के ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा का तर्क था कि एडीजीपी ने गत छह मार्च 2025 को मोहसिन खान के निलंबन के लिए जो संस्तुति दी है, वह नियमों के तहत गलत है। उन्हें दूसरी महिला से यौन संबंध रखने के आरोप में निलंबित किया गया है, जबकि इस प्रकार का आरोप दुराचरण की श्रेणी में नहीं आता है।
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के नियम 29 के तहत पत्नी के रहते दूसरी पत्नी से विवाह करना तो दुराचरण की श्रेणी में आता है किंतु दूसरी महिला से यौन संबंध रखना दुराचरण की श्रेणी में नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 व कोर्ट की विभिन्न नजीरों पर विचार कर अंतरिम आदेश जारी करते हुए खान के निलंबन पर रोक लगा दी।
आइआइटी छात्रा ने मोहसिन के खिलाफ कानपुर के कल्याणपुर थाने में 12 दिसंबर, 2024 को शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस को दी शिकायत में उसने कहा था कि मोहसिन खान ने आइआइटी में पीएचडी में दाखिला लिया था। इसके बाद छात्रा से उसकी मुलाकात हुई। उसने खुद को अविवाहित बताकर अपने प्रेम जाल में फंसाया। इसके बाद शादी का झांसा देकर महीनों यौन उत्पीड़न किया। जांच के बाद मोहसिन खान को शासन ने निलंबित कर दिया।