नई दिल्ली । कोरोना महामारी के चलते सभी विश्विद्यालय मार्च के आख़िरी सप्ताह से बंद हैं। दिल्ली समेत देश के तमाम विश्विद्यालयों को अब चरणबद्ध तरीके से खोलने की सुगबुगाहट शुरू होती दिख रही है। अनलॉक 4 के तहत 21 सितंबर से देश में तकनीकी संस्थानों (आईटीआई) को खोलेने की इजाज़त मिलने के बाद अब गैर तकनीकी संस्थानों को भी खोलने की बात कही जा रही है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती होगी कि कोरोना के काल में किस तरह से शिक्षा को पटरी पर लाया जाए। फ़िलहाल ऑनलाइन माध्यमों के जरिये छात्र और प्रशासन इस शैक्षणिक सत्र को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। लेकिन आशंका है कि यदि इस वर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों को नहीं खोला जाता तो अगले सत्र पर भारी दबाव पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार और शिक्षा मंत्रालय तमाम तरह के विकल्प ढूंढने में जुटे हैं।
कैसा होगा बदलाव, कॉलेजों के खुलने के बाद कैसी तस्वीरें देखने को मिल सकती हैं, और प्रशासन की क्या तैयारियां होंगी, इन सवालों के जवाब में दिल्ली विश्विद्यालय के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि अगले माह के अंत से कॉलेजों को खोलने को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। यदि कॉलेज खुल भी जाते हैं तो छात्रों के लिए ऑनलाइन पढ़ने का विकल्प मौजूद रहेगा। छात्र कोरोना काल में कॉलेज में उपस्थित रहने के लिए बाध्य नहीं होंगे। जिन विषयों में छात्रों की संख्या अधिक है उनमे कई शिफ्टों में कक्षाएं लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा सप्ताह में लगने वाली कक्षाओं की संख्या को भी घटाया जा सकता है। छात्रों को तो देह से दूरी का पालन करना ही होगा साथ ही विश्विद्यालय प्रशासन भी सफाई और सेनिटाइज़ेशन के पुख्ता इंतज़ाम करेगा। छात्रों के लिए कक्षा शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद हाथ धोना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कैंटीन को भी बंद रखने की बात कही जा रही है। इन तमाम अहतियादों के साथ एक बार फिर छात्रों के कक्षा में बैठकर पढ़ने की उम्मीदें जगने लगी हैं।
दिल्ली विश्विद्यालय के मीडिया प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार का कहना है कि अभी तैयारियों के बावजूद कक्षाओं का पहले की तरह संचालन कठिन होगा। कोरोना के मामले रोज़ाना 80 हज़ार को पार कर रहे हैं। ऐसे में अनलॉक 5 में
शिक्षा मंत्रालय क्या निर्णय लेता है इसपर सबकी निगाहें टिकी होंगी।
अभिभावकों की चिंता
हाल ही में हुए एक सर्वे में पता चला कि ज्यादातर अभिभावक इस समय कॉलेजों का खुलना सुरक्षित नहीं मानते। उन्हें चिंता कि यदि ऐसा होता है तो कोरोना का खतरा और बढ़ जाएगा। शारीरिक दूरी का पालन बच्चे सही से नहीं करेंगे। दोस्तों से घुलने मिलने से संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। बहुत से अभिभावक अभी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं।