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सिंधिया की संगठन और संघ की रीति नीति में अपने को सराबोर करने की कोशिश…

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भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की संगठन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी नजदीकियां बढ़ने लगी है। इसे सिंधिया की संगठन और संघ की रीति नीति में अपने को सराबोर करने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है।

सिंधिया ने लगभग छह माह पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और उनके साथ तत्कालीन 22 विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी, जिसके चलते कमल नाथ की सरकार गिर गई थी। उसके बाद सिंधिया को भाजपा ने राज्यसभा में भेजा है और संभावना इस बात की है कि आगामी समय में होने वाले मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है।

सिंधिया जहां एक तरफ आमजन के बीच पहुंचकर यह बता रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस सिर्फ इसलिए छोड़ी क्योंकि कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद उन वादों को पूरा नहीं किया जो चुनाव के दौरान किए गए थे। इसके साथ ही सिंधिया ने भाजपा संगठन की तमाम गतिविधियों में अपनी भागीदारी बढ़ा दी है। इतना ही नहीं वे संघ से भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। सिंधिया पिछले दिनों नागपुर में संघ कार्यालय गए थे और उन्होंने सरसंघचालक मोहन भागवत से लंबी चर्चा की थी। उसके बाद सिंधिया बुधवार को भोपाल आए तो वे यहां संघ के कार्यालय समिधा गए, जहां उन्होंने संघ के कई पदाधिकारियों से लंबी चर्चा की।

सिंधिया के संघ कार्यालय जाने को लेकर एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि संघ प्रमुख अपने संगठन से जुड़ने वालों से यही कहते हैं कि पहले संघ को जानिए-समझिए और सिंधिया भी ऐसा ही कर रहे हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है जब आप संघ की रीति नीति से सहमत हो जाएं तो उससे जुड़िए और काम भी करिए।

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वैसे देखा जाए तो सिंधिया की दादी विजय राजे सिंधिया का भाजपा और संघ से जुड़ाव रहा है और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस बात का जिक्र लगातार करते रहते हैं। सिंधिया अपनी दादी की राह पर चलकर आगे बढ़ना चाहते हैं, इसीलिए संघ से भी करीबियां बढ़ाने में लग गए हैं।

राजनीतिक विष्लेशक गिरिजा शंकर का कहना है कि सिंधिया भाजपा में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में है, यह तभी संभव है जब उसकी संघ से भी नजदीकियां हो। सिंधिया अपनी योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहे हैं। अब उन्हें भाजपा में ही रहना है, कांग्रेस में वापसी की संभावना कम है। लिहाजा संगठन के साथ-साथ संघ से भी नजदीकी जरुरी है। दूसरे नेता भाजपा में आ तो जाते हैं और वापसी के रास्ते भी खोजते हैं मगर सििंधया के साथ ऐसा नहीं लगता। वे लंबी पारी खेलने वाले हैं, इसलिए भाजपा में बड़ी भूमिका निभाना है तो संघ का भरोसा जीतना होगा।

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