नीरज शर्मा की खबर
त्रयोदशी के उदय तिथि और प्रदोष काल में होने की वजह से बन रहा ऐसा संयोग
धनतेरस के साथ शाम को नरक चतुर्दशी की होगी पूजा, १४ नवंबर को है दिवाली
बुलंदशहर। दिवाली से दो दिन पहले पडऩे वाला धनतेरस का त्योहार इस बार दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाएगा। त्रयोदशी के उदया तिथि और प्रदोष काल में होने की वजह से करीब ४९९ साल बाद संयोग बन रहा है। इस बार १३ नवंबर को धनतेरस के साथ शाम को नरक चतुर्दशी की पूजा होगी। वहीं, १४ नवंबर को स्वाती नक्षत्र में दिवाली का पूजन होगा।
प्रतिवर्ष दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है। करीब ४९९ साल पूर्व सर्न १५२१ में दिवाली से एक दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार मना था। जो संयोग इस बार भी मन रहा है। भृगु क्षेत्र आश्रम के आचार्य शिवदत्त शास्त्री ने बताया कि इस बार त्रयोदशी उदया तिथि और प्रदोष काल में पड़ रही है। त्रयोदशी १२ नवंबर की रात ९.३० बजे से शुरू होगी और १३ नवंबर की शाम ५.५९ बजे तक रहेगी। इस वजह से धनतेरस दिवाली से एक दिन पूर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा।इसी दिन शाम ५.५९ बजे से चतुर्दशी लगेगी, जो १४ नवंबर की दोपहर २.१८ बजे तक रहेगी। मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या को स्वाती नक्षत्र में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है। १४ नवंबर की दोपहर २.१८ बजे से अमावस्या लग जाएगी और स्वाती नक्षत्र रात ८.२० बजे तक रहेगा। ऐसे में मां लक्ष्मी के पूजन का शुभ मुहूर्त शाम ५.२२ बजे से ७.१२ बजे तक उत्तम रहेगा। व्यावसायिक स्थानों में मां लक्ष्मी का पूजन दोपहर तीन बजे से रात ८.०९ बजे तक कर सकते हैं। वहीं, धनतरेस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त १३ नवंबर सुबह ६.०१ बजे से लेकर रात ८.३३ बजे तक रहेगा।