देहरादून। कोरोना महामारी के देश में पैर पसारते ही लगे लॉकडाउन से बड़ी आबादी घरों में रहने को मजबूर हो गई थी। आर्थिक रूप से संपन्न लोग तो किसी तरह परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे थे, लेकिन नौकरीपेशा और मजदूर वर्ग के लिए यह समय दोहरी विपदा से कम नहीं था। ऐसे समय में मदद के लिए दून के धार्मिक संगठन आगे आए। राधा स्वामी सत्संग व्यास, श्री श्री बालाजी सेवा समिति और कालिका मंदिर समिति के सेवादारों ने खुद की रसोई चलाकर विभिन्न जगह जरूरतमंदों को राशन, खाने के पैकेट, पानी, जूस, बिस्किट, दूध आदि वितरित कर इंसानियत का संदेश दिया।
छह महीने तक हर दिन तीन हजार पैकेट बांटे
निस्वार्थ भाव से सेवा में लगे हरिद्वार बाईपास स्थित राधा स्वामी सत्संग व्यास के सेवादारों ने जरूरतमंदों की मदद के लिए भव्य किचन बनाया। यहां 40 महिलाओं समेत कुल 60 सेवादारों ने रोजाना तीन हजार जरूरतमंदों के लिए भोजन तैयार किया। रोजाना यहां जरूरतमंदों के लिए 3600 पूड़ी और 7200 रोटी तैयार की गई। 1200 ऐसे पैकेट तैयार किए, जिनमें तीन रोटी और सब्जी होती थी, जबकि बाकी के 1800 पैकेट में चार पूड़ी और सब्जी रखी गई। सेवादारों का कहना है कि इस तरह की परिस्थिति में सभी से मदद के लिए आगे आने की भी अपील की गई।
श्री श्री बालाजी सेवा समिति ने फूड वैन से पहुंचाई मदद
श्री श्री बालाजी सेवा समिति के सेवादारों ने कोरोनाकाल के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए अलग पहल की। विभिन्न जगह खाने के स्टॉल लगाने के अलावा फूड वैन के माध्यम से भी घर- घर गर्म खाना पहुंचाया। समिति की ओर से हर दिन 600 जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई।
समिति के संस्थापक अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने बताया कि मानव सेवा सबकी सेवा का भाव रखते हुए यह अभियान चलाया गया। जरूरतमंदों के लिए टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध कराए गए थे ताकि कोई भी भूखा न सोने पाए।
सुबह की चाय से रात्रि भोजन तक की सेवा
अंसारी मार्ग स्थित कालिका माता मंदिर समिति के सेवादारों ने भी कोरोनाकाल के दौरान निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा की। मां कालिका दयाल अन्नपूर्णा रसोई के जरिये सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक सेवादारों ने हर दिन 400 जरूरतमंदों का की सेवा की। सुबह चाय से लेकर फल और रात का भोजन बनाकर जरूरतमंदों में बांटा। समिति के मंत्री अशोक लांबा ने बताया कि 24 मार्च 2020 से चला अभियान अगस्त तक चला। इसके अलावा समिति की ओर से बेजुबानों की भी मदद की गई। गाय को भूसा, कुत्तों को बिस्किट आदि खिलाए। मंदिर के बाहर 15 से 18 बर्तनों में भूसा और पानी रखवाया गया।