लखनऊ। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसी के साथ शुरू हो चुकी है मतदाताओं को लुभाने की जोड़-तोड़। आमतौर से शराब, मुर्गा आदि की दावत से लेकर उपहार तक उम्मीदवारों की ओर से मतदाताओं को उपलब्ध कराए जाते हैं, लेकिन रूखालू ग्राम पंचायत के एक प्रधान पद प्रत्याशी ने कुछ ऐसा करने का प्रयास किया, जिसके बारे में कम ही सुना गया है। उसने रिश्वत में रसगुल्ले ही बंटवाने की योजना बना ली। लेकिन पुलिस ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया। न केवल प्रधान पद के प्रत्याशी के साले को गिरफ्तार कर लिया, बल्कि करीब एक क्विंटल रसगुल्ले जब्त कर लिए। चूंकि एक दो दिन में ही नष्ट होने वाले रसगुल्लों को मालखाने में जमा नहीं करवाया जा सकता था, इसलिए उन्हें नष्ट करवा दिया।
ब्लाक गंगेश्वरी की ग्राम पंचायत रूखालू में प्रधान पद के लिए चंद्रसेन दावेदार है। मतदाताओं में बांटने के लिए एक-एक किलो काला रसगुल्ला (गुलाब जामुन) की थैली मंगाई गईं। पुलिस ने सूचना पर चंद्रसेन के मकान से रसगुल्ले की थैलियां बरामद कीं। मौके से दावेदार के साले सोहनवीर निवासी पौरारा थाना रहरा को गिरफ्तार कर लिया, जबकि, दावेदार चंद्रसेन फरार हो गया। पुलिस की कार्रवाई से वहां खलबली मच गई, मौके पर जिनके हाथ में रसगुल्ले की थैली थी, वे वहीं छोड़कर लोग भाग निकले। प्रभारी निरीक्षक संजय तोमर ने बताया कि मतदाताओं को रिझाने के लिए रसगुल्ले बांटने की सूचना पर रूखालू में प्रधान पद के दावेदार के मकान पर रविवार सुबह छापा मारा गया था। वहां से करीब एक ङ्क्षक्वटल रसगुल्ले बरामद किए हैं। एक-एक किलो की सौ थैली मिली हैं। सोहनवीर व चंद्रसेन के विरुद्ध आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। सोहनवीर को मौके से गिरफ्तार किया गया था। बाद में थाने से जमानत पर रिहा कर दिया गया। बरामद रसगुल्ले को मालखाने में जमा नहीं किया जा सकता था। उसे जमीन में दबवा कर नष्ट करवा दिया गया।
ट्रैक्टर से बंट रहे थे रसगुल्ले : मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए एक प्रधान पद के दावेदार ने दो अप्रैल को डौली कोतवाली क्षेत्र में भी रसगुल्ले के डिब्बे बांटे। बीच में पुलिस ने पकड़ लिया। पुलिस ने ट्रैक्टर-ट्रिपलर में लदे 400 डिब्बे जब्त कर नष्ट करा दिए। पुलिस को शनिवार शाम सूचना मिली कि जोया ब्लाक क्षेत्र के श्यामपुर में वोट के लिए प्रधान पद का दावेदार कमलजीत सिंह रसगुल्लों के डिब्बे बांट रहा है। इस पर पुलिस ने यहां ट्रैक्टर-ट्रिपलर में लदे 400 रसगुल्लों के डिब्बे पकड़ लिए। ट्रैक्टर ट्रिपलर को सीज कर दिया व रसगुल्लों को नष्ट करा दिया था।
जैसे-जैसे पंचायत चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे दावेदारों के दिल की धड़कन भी तेज होने लगी है। दावेदार हर हथकंडा अपनाते हुए वोटरों को अपने पक्ष में करने प्रयास कर रहे हैं। दावेदारों ने युवाओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। प्रत्याशियों की इस तैयारी के बाद युवा वोटर भी पीछे रहने के मूड में नहीं है। जिन गांव में युवा खेल सुविधाएं चाहते हैं, वह अपने पसंद के प्रत्याशी से उस सामग्री व संसाधनों की मांग कर रहे हैं। आगामी पंचायत चुनाव में कौन प्रत्याशी वोटरों को अपने पक्ष में खींच पाता है और कौन युवा वोटरों की उम्मीदों पर कायम रह पाता यह आने वाला समय ही बताएगा। एक ओर वोट अपने पक्ष में करने के लिए दावेदार जीत के बाद उन्हें खेल मैदान, खेल सामग्री, जिम आदि सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दे रहे हैं वहींं । आए दिन हर दावेदार युवा वोटरों को लुभाने के लिए नई योजना सामने लेकर आ रहा है।
महिलाओं के लिए खास व्यवस्था
वहीं कई जगहों पर महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए साड़ी, चूड़ी, नथुनी, बिंदिया, अंगूठी, पायल और बिछुआ सहित कई तरह के उपहार दिए जा रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक शादी-विवाह और विदाई जैसे मांगलिक आयोजनों पर भी उम्मीदवारों की पैनी नजर रहती है। बच्चों के जन्मदिन समारोह, मुंडन और इस तरह के कई आयोजनों पर लोग तो मिलते-जुलते ही रहते हैं, लेकिन अब इस मिलने-जुलने के बहाने उम्मीदवारों ने व्यवहार का दौर भी शुरू कर दिया है। गांव-देहात में इस तरह के आयोजन प्रत्याशियों के लिए मतदाताओं को रिझाने का एक जरिया बनता जा रहा है।
यही नहीं परदेसी मतदाताओं के लिए बस, ट्रेन और हवाई टिकट जैसे प्रलोभन दिए जा रहे हैं। गांव-गांव में होने वाले इस तरह के आयोजनों पर सरकारी तंत्र की खास नजर नहीं पड़ती है। लिहाजा, दावेदार आचार संहिता से बचने के लिए नए-नए प्रयोगों के साथ व्यवहार पहुंचा रहे हैं। यह व्यवहार नकद कम कीमती वस्तुओं के रूप में ज्यादा नजर आ रहा है। सर्वाधिक जोर गांव के अनुसूचित जाति के टोलों और गरीब तबके को साधने पर है। जिस परिवार में जितने वोट, मदद का आश्वासन भी उसी मुताबिक दिया जा रहा है। 15 दिनों के भीतर गोरखपुर जिले के पाली ब्लॉक के नेवास, गोविंदपुर, हड़हा और डुमरी गांव के कुछ घरों में अंतिम संस्कार के बाद पड़ी तेरहवीं में प्रधानी पद के कई दावेदार मदद को आगे आए। किसी ने दही पहुंचाई तो किसी ने आलू-प्याज और पनीर का पूरा खर्च उठाया। एक ने हलुवाई का पूरा भुगतान अपने पास से किया। जंगल कौड़िया गांव में तो तीन दावेदारों ने एक ओबीसी परिवार के घर में पड़े तेरहवीं के दौरान 50 किलो चूरा, 20 किलो दही और सब्जी पहुंचाई।