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गौतमबुद्ध नगर की वीर भूमि ने सियासत की कोख से कई योद्धा पैदा किए

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नोएडा। गौतमबुद्ध नगर की वीर भूमि ने कई योद्धा पैदा किए हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए जोशीले क्रांतिकारियों की यह धरती कर्मभूमि रही है। दादरी में राव उमराव सिंह भाटी के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था तो नोएडा का नलगढ़ा गांव शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु व सुखदेव का ठिकाना रहा है। गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को दीक्षा देने से इनकार कर दिया था तो एकलव्य ने गौतमबुद्ध नगर की धरती (दनकौर) पर ही युद्ध कौशल में महारत हासिल की थी। राजनीति की बात करें तो सियासत की कोख ने भी देश को कई कोहिनूर दिए हैं।

दादरी के बादलपुर गांव की रहने वाली मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। चार बार वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुईं। मायावती के सशक्त शासन काल की लोग अब भी तारीफ करते मिल जाएंगे। ग्रेटर नोएडा के वैदपुरा गांव के रहने वाले राजेश पायलट ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी चमक बिखेरी। उन्होंने गृह, परिवहन, दूर संचार, वन एवं पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में जिम्मेदारी संभाली। जम्मू -कश्मीर के मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें नरसिम्हा राव सरकार ने विशेष जिम्मेदारी दी थी। उन्होंने अपनी योग्यता से सभी को प्रभावित किया। चर्चित तांत्रिक चंद्रास्वामी को गिरफ्तार कराकर उन्होंने देश में खूब सुर्खियां बटोरी थी।

हालांकि, उन्होंने अपनी कर्मभूमि राजस्थान को बनाया था, लेकिन गौतमबुद्ध नगर से उनका लगाव कभी कम नहीं हुआ। दिवाली और गोवर्धन पूजा वह हमेशा अपने गांव वैदपुरा में ही आकर स्वजन व ग्रामीणों के साथ करते थे। राजस्थान में सड़क दुर्घटना में असमय मौत के कारण यहां की राजनीति शून्य हो गई। उनकी कमी को इस क्षेत्र ने लंबे समय तक महसूस किया है। उनकी ससुराल गाजियाबाद के रिस्तल गांव में है। यह जिला पहले गाजियाबाद का ही हिस्सा था। राजेश पायलट की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रमा पायलट भी सांसद बनी। अब उनके बेटे सचिन पायलट राजस्थान और देश की राजनीति में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। वह राजस्थान के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मनमोहन सिंह के शासन काल में उन्होंने केंद्र में दो मंत्रलयों की जिम्मेदारी बखूबी संभालकर अपनी योग्यता से खासकर युवा वर्ग को प्रभावित किया।

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देश और प्रदेश की राजनीति में दादरी के बसंतपुर गांव के रहने वाले रामचंद्र विकल ने भी अपना लोहा मनवाया। उन्हें गुर्जर गांधी के नाम से पुकारा जाता था। रामचंद्र विकल उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मौजूदा समय में जहां नेता पद पाने के लिए एक-दूसरे की कब्र खोदने में देरी नहीं करते वहीं रामचंद्र विकल ऐसा नेता रहे हैं, जिन्होंने कभी पद पाने की लालसा नहीं रखी। उन्हें 1967 में मुख्यमंत्री बनाए जाने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन उन्होंने खुद का नाम पीछे करते हुए चौधरी चरण सिंह के नाम का प्रस्ताव रख दिया। उनके इस त्याग की चर्चा अब भी प्रदेश की राजनीति में होती है।

दादरी से तीन बार विधायक रहे महेंद्र सिंह भाटी ने भी प्रदेश की राजनीति में जलवा बिखेरा। 1991 में उन्होंने विधानमंडल में जनता दल के उपनेता की जिम्मेदारी निभाई। राजनीति में उनका बड़ा कद था, लेकिन दादरी रेलवे फाटक के पास उनकी हत्या कर दिए जाने से दादरी का चमकता सूरज ढल गया। अब भी लोग महेंद्र भाटी को याद करते हुए कहते हैं कि यदि वह जीवित होते तो दादरी की तस्वीर कुछ और होती। रूपवास गांव के बिहारी सिंह बागी, देवटा गांव के तेज सिंह भाटी ने भी राजनीति में चमक बिखेरी।

तेज सिंह भाटी प्रदेश में सिंचाई मंत्री रहे। नोएडा के नवाब सिंह नागर भी प्रदेश में मंत्री रह चुके हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा की जन्म भूमि तो राजस्थान हैं, लेकिन कर्मभूमि गौतमबुद्ध नगर है। देश की राजनीति में महेश शर्मा भी केंद्रीय मंत्री तक पहुंचे। वैदपुरा गांव के सुरेंद्र गोयल गाजियाबाद से कांग्रेस से सांसद रहे हैं। मिल्क किंग के नाम से मशहूर चौधरी वेदराम नागर का नाम भी प्रदेश की राजनीति में आदर के साथ लिया जाता है।

  • बिहारी सिंह बागी
  • महेंद्र सिंह भाटी
  • तेज सिंह भाटी
  • रामचंद्र विकल
  • मायावती
  • सचिन पायलट
  • राजेश पायलट
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