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पाकिस्तान के PM इमरान खान पर लटकी इस्तीफे की तलवार, अविश्वास प्रस्ताव पेश; बोले- सेना मेरे साथ खड़ी है

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नई दिल्‍ली। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मंगलवार को विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ नेशनल असेंबली सेक्रेटेरिएट में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। खबर में कहा गया है कि विपक्षी दलों के कुल 86 सांसदों ने इस अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। इस अविश्‍वास प्रस्‍ताव से पाकिस्‍तान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। व‍िपक्ष ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब पीडीएम अविश्‍वास प्रस्‍ताव की तैयारी में है। प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्‍ता से बेदखल करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या इमरान सत्‍ता से बेदखल हो सकते हैं? संसद में क्‍या है इमरान खान की पार्टी की स्थिति? क्‍या विपक्ष के पास इतनी संख्‍या है कि वह एकजुट होकर इमरान को हटाने की स्थिति में है? क्‍या होगा इमरान सरकार का भविष्‍य? आइए जानते हैं इन तमाम मसलों पर क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ।

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्‍तान में अगर इमरान सरकार के सहयोगी दल सरकार से अलग होते हैं तो देश में आम चुनाव की स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है। पाकिस्‍तान के लिए यह भी ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि देश के  ताजा आर्थिक हालात के मद्देनजर पाकिस्‍तान में आम चुनाव कतई ठीक नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्‍प होगा कि इमरान सरकार के सहयोगी दल क्‍या रुख अपनाते हैं। दूसरे, राजनीतिक अस्थिरता का फायदा सेना भी उठाती है। उनका कहना है कि यह अस्थिरता अगर लंबे समय तक चली तो सेना का दखल बढ़ेगा। अगर यह गतिरोध लंबा चला तो यह भी संभव है कि सत्‍ता पर सेना का कब्‍जा हो जाए। हालांकि, सेना अभी मौन है। राजनीतिक गतिविधियों पर सेना की पैनी नजर है।

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2- प्रो. पंत का कहना है कि यह देखना दिलचस्‍प होगा कि इमरान सरकार के सहयोगी राजनीतिक दलों का क्‍या रुख होता है। एमक्‍यूएम-पी और पीएमएल-क्‍यू का सरकार में बड़ी भूमिका है। उन्‍होंने कहा कि व‍िपक्ष की नजर इन राजनीतिक दलों पर होगी। उन्‍होंने कहा कि एमक्‍यूएम-पी के पास नेशनल असेंबली में सात सीटें हैं। पीएमएल-क्‍यू के पास पांच सीटें हैं। उन्‍होंने कहा यदि सरकार में शामिल दोनों दल इमरान से अलग हो जाते हैं तो सरकार का गिरना तय है। हालांकि, दोनों दलों ने सरकार के साथ रहने का फैसला लिया है। ऐसे में विपक्ष को सरकार का गिरा पाना एक टेढ़ी खीर है।

क्या इमरान को देना पड़ जाएगा इस्तीफा

खबरों के मुताबिक सात फरवरी को जरदारी के आवास पर आसिफ जरदारी, शहबाज शरीफ, मौलाना फजलुर रहमान, यूसुफ रजा गिलानी, अहसान इकबाल, मरियम औरंगजेब और अन्य की भागीदारी के साथ इस मुद्दे को अंतिम रूप देने के लिए एक बैठक हुई थी। अगस्त 2008 में जरदारी और नवाज शरीफ के बीच जरदारी के आवास पर एक बैठक में राष्ट्रपति मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग चलाने का फैसला किया गया था और मुशर्रफ को दस दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।

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