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नोटा से हार गए निर्दलीय प्रत्याशी, जमानत भी हुई जब्त

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गौतमबुद्ध जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर छह हजार से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा (NOTA) का बटन दबाया है। यानी इन मतदाताओं ने अपने लिए किसी भी नेता का चयन नहीं किया। चुनावी समर में उतरे कुल 39 उम्मीदवारों में से 25 को इससे कम मत मिले हैं। इनमें से अधिकतर निर्दलीय या फिर छोटे और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशी हैं।

निर्वाचन आयोग ने व्यवस्था की हुई है कि यदि किसी मतदाता को कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आता है तो वह ईवीएम मशीन में नोटा (इनमें से कोई नहीं) बटन दबा सकते हैं। इस बार के चुनाव में गौतमबुद्ध नगर जिले की तीनों विधानसभाओं में मतदाताओं ने इस नोटा का जमकर इस्तेमाल किया।

नोएडा में 2,463 मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया तो दादरी में 2033 व जेवर में 1694 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है। लिहाजा, इन मतादाताओं ने नोटा बटन दबाकर चुनावी रण में उतरे समस्त 39 उम्मीदवारों को नापसंद कर दिया है। नोएडा विधानसभा में आठ उम्मीदवार, दादरी में नौ और जेवर में भी आठ उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले हैं।

20 गुना अधिक वोट खराब हुए

जिले में 2017 के मुकाबले इस बार 20 गुना अधिक वोट खराब हुए हैं। तीनों विधानसभाओं में जानकारी के अभाव में 725 मतदाता ठीक से अपना मत नहीं डाल पाए। सबसे ज्यादा 274 वोटों की बर्बादी दादरी विधानसभा क्षेत्र में हुई। नोएडा में 204 मत और जेवर में 247 वोट खराब हो गए हैं। वहीं अगर 2017 के चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ 37 वोट ही बर्बाद हुए थे। इनमें नोएडा व जेवर विधानसभा में बर्बाद होने वाले मतों की संख्या दस-दस और दादरी में 17 रही थी।

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2017 से भी ज्यादा नोटा पर पड़े वोट : जिले में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 4,728 मतदाताओं ने ही नोटा का बटन दबाया था, लेकिन इस बार 1,462 अधिक मतदाताओं ने इसका इस्तेमाल किया। 2017 में कुल मतदान के सापेक्ष नोएडा में 1787 (0.71), दादरी में 1665 (0.63) व जेवर में 1,276 (0.61) था। इस बार नोएडा में 0.71 प्रतिशत, दादरी में 0.57 प्रतिशत और जेवर में 0.73 प्रतिशत रहा है।

मालूम हो कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर नोटा (नन ऑफ द अबव यानी उपरोक्त में से कोई भी नहीं) का विकल्प साल 2013 से उपलब्ध कराया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में इस विकल्प की शुरुआत साल 2017 में हुई थी।

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