नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस की विशेष एनआइए अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-17(आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाते हुए दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) व यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मलिक के खिलाफ सजा पर जिरह सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया।अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार देते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
बुधवार को पटियाला हाउस में कड़ी सुरक्षा के बीच यासीन मलिक को अदालत में पेश किया गया। इस दौरान पूरे अदालत परिसर की सुरक्षा बेहद कड़ी रही।अदालत ने मलिक की सजा पर सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि अदालत अपना निर्णय साढ़े तीन बजे सुनाएगी। हालांकि, यह समय कई बार बढ़ाया गया और फिर अदालत ने देर शाम को अपना निर्णय सुनाया।
दस मई को टेरर फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था।मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है।
किस मामले में हुई कितनी सजा
यूएपीए की धारा- 13 के तहत पांच साल
यूएपीए की धारा-15 व 16 (आतंकवादी अधिनियम) के तहत दस साल की सजा
यूएपीए की धारा-18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
यूएपीए की धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
यूएपीए की धारा-38 व 39 के तहत पांच साल की सजा व पांच साल का जुर्माना
अाइपीसी की धारा-120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दस साल की सजा और दस हजार का जुर्माना
आइपीसी की धारा-121ए (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना) के तहत दस साल की सजा व दस हजार का जुर्माना
आइपीसी की धारा 121-ए (देशद्रोह) के तहत दस साल की सजा