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मोदी के सहारे उत्तराखंड का दशक बनाने के इरादे, धामी के लिए बढ़ता कर्ज बना सिरदर्द

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देहरादून: प्रदेश की अर्थव्यवस्था कर्ज के मर्ज में धंसती जा रही है। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार कर्ज का आंकड़ा हजार करोड़ रुपए की सीमारेखा को लांघकर एक लाख करोड़ पार करता दिख रहा है। प्रदेश की वित्तीय समीक्षा की रिपोर्ट इसी तरह के आंकड़े पेश करती दिख रही है।

1.075 लाख करोड़ रुपए पार होता दिख रहा आंकड़ा

बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में उत्तराखंड पर 85486 करोड़ रुपये कस कर्ज था। इससे पहले भी कर्ज का आंकड़ा हजार करोड़ रुपए के फेर में नजर आता रहा है।

कर्ज पर कर्ज लेना बन गया सरकार की मजबूरी

हालांकि, कोरोना संक्रमण में मिली गहरी आर्थिक चोट और उससे उबरने की जिद्दोजहद में कर्ज पर कर्ज लेना सरकार की मजबूरी बन गया। अब स्थिति यह है कि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति तक यह आंकड़ा 1.075 लाख करोड़ रुपए पार होता दिख रहा है।

राज्य की वित्तीय समीक्षा की रिपोर्ट

यह हम नहीं कह रहे, बल्कि राज्य की वित्तीय समीक्षा की रिपोर्ट ऐसी अथिति पेश कर रही है। प्रति व्यक्ति कर्ज की तुलना की जाए तो एक-एक व्यक्ति एक लाख रुपए से अधिक के कर्ज तले डूबा नजर आएगा।निरंतर बढ़ रही कर्ज की दरवित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में कर्ज 11 प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ा।

25 प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ता दिख रहा कर्ज

वहीं, 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में यह दर बढ़कर 16 प्रतिशत को पार कर गई। अब कर्ज इससे भी लंबी छलांग लगाता दिख रहा है। वित्तीय समीक्षा रिपोर्ट के आकलन के अनुसार 2022-23 में कर्ज 25 प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ता दिख रहा है।

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इस तरह बढ़ रहा कर्ज का मर्ज

वित्तीय वर्ष, कर्ज की राशि (करोड़ रुपए में)

2019-2: 65982

2020-21: 73478

2021-22: 85486

2022-23 : 1.075 लाख करोड़

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