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यूपी निकाय चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी, जानें- कौन सी सीट किसके लिए आरक्षित

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लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ओबीसी आयोग की सिफारिशों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को नगरीय निकाय सीटों में नए सिरे से आरक्षण देते हुए प्रदेश सरकार ने गुरुवार को मेयर, अध्यक्ष व वार्डों के पार्षद एवं सभासद के पदों का अनंतिम आरक्षण जारी कर दिया। नगर निगम व नगर महापालिका अधिनियम में संशोधन के बाद नई व्यवस्था से हुए इस आरक्षण में बड़ा उलटफेर हुआ है।

सर्वाधिक फायदा महिलाओं को हुआ है। 760 सीटों में पहले उनके लिए 255 सीटें आरक्षित थीं किंतु अब उनके लिए 288 सीटें आरक्षित हो गईं हैं। यानी महिलाओं को 33 सीटों का लाभ मिला है और उनका आरक्षण 38 प्रतिशत तक पहुंच गया है। मेयर की सीटों के लिए प्रदेश, नगर पालिका परिषद के लिए मंडल व नगर पंचायत के लिए जिला को इकाई मानते हुए सरकार ने आरक्षण तय किया है।

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने गुरुवार शाम ओबीसी आयोग की सिफारिशों के आधार पर 17 नगर निगमों के मेयर पद के साथ ही 199 नगर पालिका परिषद व 544 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद का आरक्षण जारी करते हुए सात दिनों में यानी छह अप्रैल तक आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं।

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दो दिनों में आपत्तियों के निस्तारण के बाद आठ अप्रैल तक अंतिम अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है। फेरबदल के तहत 760 नगरीय निकायों में से 380 निकायों का आरक्षण बदला है। इसके साथ ही 13,965 वार्डों के सभासद व पार्षद की सीटों के आरक्षण की भी अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई है।

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दो नगरीय निकायों के फिलहाल चुनाव नहीं हो रहे हैं। लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद की मेयर सीट फिर महिला वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई है। आगरा नगर निगम एससी महिला, झांसी एससी, शाहजहांपुर व फिरोजाबाद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित की गई है। सहारनपुर व मेरठ नगर निगम ओबीसी के लिए आरक्षित रहेंगे। वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या एवं मथुरा-वृंदावन नगर निगम सीट इस बार अनारक्षित रहेगी।

इससे पहले सरकार ने पांच दिसंबर को अनंतिम आरक्षण जारी किया था किंतु हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हो गई थीं। हाई कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला अपनाए बगैर आरक्षण देने पर सरकार के ओबीसी आरक्षण को खारिज कर दिया था। इसके बाद सरकार ने राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया और सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सरकार ने 115 दिनों बाद फिर नए सिरे से अनंतिम आरक्षण जारी किया गया। कुल 762 नगरीय निकायों में महाराजगंज की नगर पालिका परिषद सिसवा बाजार व बस्ती की नगर पंचायत भानपुर के गठन व सीमा विस्तार को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए इन दोनों का आरक्षण घोषित नहीं किया गया है।

नगर विकास मंत्री ने बताया कि 17 नगर निगमों में पांच दिसंबर, 22 के आरक्षण की तुलना में इस बार 11 सीटों पर असर पड़ा है। एससी के लिए दो, ओबीसी के लिए चार, महिला के लिए छह व अनारक्षित आठ पद हैं। 199 नगर पालिका परिषद में 100 सीटों के आरक्षण में बदलाव हुआ है। 544 नगर पंचायतों के अध्यक्ष की सीटों में 269 सीटों के आरक्षण में फेरबदल हुआ है। उन्होंने बताया कि आपत्तियां व सुझाव प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग के स्थानीय निकाय निदेशालय में छह अप्रैल की शाम छह बजे तक लिखित रूप से दिए जा सकते हैं।

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ओबीसी की सीटों में नहीं हुआ बदलाव

जिस ओबीसी आरक्षण को लेकर इतना बवाल हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, उसके आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ। मंत्री ने बताया कि 760 नगरीय निकायों में पहले भी 205 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित थी इस बार भी 205 सीटें ही ओबीसी को मिली हैं।

एससी की आठ व एसटी की एक सीट बढ़ी

अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को भी नए आरक्षण से फायदा मिला है। पहले 102 सीटें आरक्षित थी जबकि इस बार उनके लिए 110 सीटें आरक्षित हो गईं हैं। उन्हें आरक्षण में आठ सीटों का लाभ मिला है। वहीं, अनुसूचित जनजाति की पहले एक सीट आरक्षित होती थी किंतु इस बार उनके लिए दो सीटें आरक्षित की गईं हैं।

अप्रैल के दूसरे हफ्ते में जारी हो सकती है चुनाव की अधिसूचना

प्रदेश सरकार नगरीय निकायों के अंतिम आरक्षण की अधिसूचना आठ या नौ अप्रैल तक जारी कर सूची राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप देगी। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग अप्रैल के दूसरे हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। चुनाव अप्रैल अंत एवं मई में होंगे।

पांच दिसंबर की अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना निरस्त

प्रदेश सरकार ने मेयर व अध्यक्ष पदों की पांच दिसंबर 2022 को जारी अनंतिम अधिसूचना को निरस्त कर दिया है। प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की ओर से गुरुवार को जारी आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का हवाला देते हुए पांच दिसंबर 2022 को जारी आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना निरस्त कर दी है। इसके साथ ही एक व दो दिसंबर को जारी वार्ड आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना भी निरस्त कर दी गई है। वार्डों के आरक्षण के संबंध में आपत्तियां व सुझाव सात दिनों में जिलाधिकारियों को लिखित रूप से देना होगा।

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