उत्तर प्रदेश के रायबरेली में निजी अस्पताल में एक बच्चे को गलत वीगो लगाए जाने से हाथ सड़ जाने का गंभीर आरोप लगा है. बच्चे के परिजनों की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है. बच्चे के पिता ने कहा कि हॉस्पिटल में बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती गई, इससे बच्चे के हाथ में इन्फेक्शन हो गया. जब लखनऊ में दिखाया तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का हाथ काटना पड़ेगा.
जानकारी के अनुसार, यह मामला शहर कोतवाली इलाके के नेहरू क्रॉसिंग के पास सत्यम हॉस्पिटल का है. यहां लालगंज के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा ने अपने दो साल के बच्चे को भर्ती कराया था. डॉक्टरों ने निमोनिया बताते हुए उसका इलाज शुरू किया और ड्रिप चढ़ाने के लिए हाथ में वीगो लगा दिया.
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पिता सुरेंद्र को एहसास हुआ कि बच्चा वीगो लगाए जाने से बेचैन है तो उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन से इसकी शिकायत की. हॉस्पिटल हॉस्पिटल स्टाफ ने सुरेंद्र की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने खुद वीगो निकाल दिया. इसके बाद नजर आया कि बच्चे के हाथ में जख्म हो चुका है.
जांच करने हॉस्पिटल पहुंची टीम
इसके बाद बच्चे के पिता सुरेंद्र ने बच्चे को डिस्चार्ज कराने के बाद लखनऊ में दिखाया तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को गैंग्रीन हो गया है, हाथ काटना पड़ेगा. इसके बाद सुरेंद्र ने शिकायत जिलाधिकारी से की तो उन्होंने उचित इलाज कराने की सलाह देते हुए स्वास्थ्य विभाग को जांच का निर्देश दिया. जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ ने जांच कमेटी बनाई, जो सत्यम हॉस्पिटल जांच करने के लिए पहुंची. टीम ने वहां अस्पताल संचालक से कई घंटे बातचीत की.
बच्चे के पिता ने कहा- बच्चे के हाथ में इन्फेक्शन फैल गया था
बच्चे के पिता सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि मैं डीएम ऑफिस आया हूं. बच्चे को बुखार आ रहा था. सत्यम हॉस्पिटल में 13 जून को भर्ती कराया. गलत जगह पर भी वीगो लगाने से इंफेक्शन फैल गया. हमने बोला तो कहा गया कि सही हो जाएगा. जब लगा कि यहां पर सही नहीं होगा तो एम्स चला गया. एम्स में बताया गया कि हाथ काटना पड़ेगा. डीएम ने कहा कि उसका इलाज कराइए, जो भी कार्रवाई होगी, वह करेंगे.
अस्पताल संचालक बोले- जांच रिपोर्ट का इंतजार रहेगा
अस्पताल संचालक डॉ. आशुतोष सिंह ने कहा कि बीते दिनों निमोनिया के इंफेक्शन से ग्रसित दो माह का बच्चा आया था, जिसका वजन काफी कम था. यहां से इलाज हुआ. इसके बाद खुद की जिम्मेदारी पर बच्चे के परिजन ने उसे ले गए और 10 दिन बाद अब अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. इसकी प्रशासनिक स्तर पर जांच हो रही है. जो भी जांच में निकालकर आएगा, उन्हें भी जांच रिपोर्ट का इंतजार रहेगा.
क्या बोले सीएमओ?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. बच्चे को इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया है. जो हुआ है, उसके लिए जांच टीम गठित कर दी गई है. इसमें एक एडिशनल सीएमओ हैं, एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं और एक सर्जन हैं. पीड़ित और डॉक्टर का बयान लेकर कार्रवाई की जाएगी.