नई दिल्ली। सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पर विचार किए बिना वर्ष 2008 में कलर ब्लाइंडनेस वाले एक व्यक्ति को ड्राइवर के रूप में नियुक्त करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है। अदालत ने दिल्ली परिवहन निगम से पूछा है कि यह नियुक्ति कैसे हुई है।
रिपोर्ट के आधार पर किया गया था नियुक्त
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने इस तथ्य को दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि डीटीसी संबंधित ड्राइवर और 100 अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही। इन सभी की चिकित्सा स्थिति समान थी और जिन्हें गुरु नानक आई सेंटर की रिपोर्ट के आधार पर नियुक्त किया गया था।
डीटीसी की तरफ से दायर याचिका पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विभाग की ओर से अपने ड्राइवर की नियुक्ति में इस तरह की लापरवाही देखना अदालत के लिए बहुत निराशाजनक है।
किन परिस्थितियों में हुई ड्राइवर की नियुक्ति?
साथ ही डीटीसी अध्यक्ष को जांच करके अदालत के समक्ष यह जानकारी के साथ व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया कि ड्राइवर की नियुक्ति क्यों और किन परिस्थितियों में की गयी। साथ ही यह भी बताएं कि कलर ब्लाइंडनेस/चिकित्सकीय रूप से अयोग्य व्यक्ति को ड्राइवर के पद पर नियुक्त करने के लिए जिम्मेदार है।