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दिल्ली-एनसीआर में छात्रों और अन्य लोगों को नकली इंजेक्शन की ऑनलाइन सप्लाई कर नशेड़ी बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश

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दिल्ली-एनसीआर में छात्रों और अन्य लोगों को नकली इंजेक्शन की ऑनलाइन सप्लाई कर नशेड़ी बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। गिरोह के एक तस्कर को नोएडा के थाना फेज-3 पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने गुरुवार को गिरफ्तार किया तो इसका खुलासा हुआ।

आरोपी से नकली मेफ्टरमाईन सल्फेट इंजेक्शन की 94 शीशी बरामद हुईं। तस्कर को इसे सप्लाई करने वाले दिल्ली निवासी दो लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान जिला हाथरस के गांव बरमाना निवासी चंद्रशेखर के रूप में हुई है। वह फिलहाल दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहता है। पूछताछ में आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह प्रतिबंधित इंजेक्शन की नकली बायल ऑनलाइन सप्लाई करने का काम करता है। गुरुवार को वह सेक्टर-68 स्थित मामूरा गांव में सप्लाई करने आया था, लेकिन पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी से बरामद कुछ शीशी पर मेफेंट्रामाइन, कुछ पर मेफप्रो और कुछ पर नैप्रोहेन लिखा हुआ था। उससे सप्लाई करने के संबंध में लाइसेंस मांगा गया तो वह नहीं दिखा सका।

आरोपी ने बताया कि वह सिर्फ डिलीवरी करता है। उसे यह माल दिल्ली के भजनपुरा में रहने वाले बड़े ड्रग सप्लायर हरीश चौहान और प्रदीप चौहान से मिला है। वह कमीशन पर ऑर्डर मिलने पर माल को निर्धारित स्थान पर पहुंचा देता है।

पुलिस ने आरोपी का मोबाइल चेक किया तो उसके वॉट्सऐप पर कई चैट, स्क्रीनशॉट और बड़ी संख्या में लोगों की लोकेशन मिलीं। चैट हिस्ट्री से पता चला कि पकड़े गए आरोपी की एक दिन में एक-एक लाख रुपये, 25-25 हजार और 20-20 हजार रुपये के डेबिट और क्रेडिट राशि मिली। इससे पुलिस को पता चला कि आरोपी नकली प्रतिबंधित दवाओं का बड़े पैमाने पर व्यापार करता है। पुलिस ने हरीश चौहान और प्रदीप चौहान को पकड़ने के लिए टीम गठित की है।

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नशे की लत के शिकार लोग निशाने पर

जांच में पुलिस को पता चला कि आरोपी अधिकतर पीजी में रहने वाले उन लोगों को प्रतिबंधित नकली इंजेक्शन सप्लाई करता था, जो नशे की लत का शिकार हो चुके हैं। इस नकली इंजेक्शन का इस्तेमाल वह नशे के लिए भी करते हैं। पुलिस अब आरोपी के मोबाइल से मिली चैट हिस्ट्री के माध्यम से उन लोगों का पता लगा रही है, जो इन नकली इंजेक्शन की सप्लाई कराते हैं।

डॉक्टरी पर्ची के बिना बेचना प्रतिबंधित

मेफ्टरमाईन सल्फेट इंजेक्शन बिना डॉक्टर की पर्ची के बेचना प्रतिबंधित है। औषधि अधिनियम की धारा 18/27 के तहत बिना लाइसेंस और डॉक्टरी पर्ची के इसे और नकली दवा बेचने पर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक अर्थदंड की सजा सुनाई जा सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक इस इंजेक्शन का उपयोग आमतौर पर गंभीर बीमारी के बाद उच्च रक्तचाप के दौरान किया जाता है। इसके सेवन के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं।

पीजी में सप्लाई करने वाला था

पुलिस को सूचना मिली थी कि दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंधित इंजेक्शन मेफ्टरमाईन का जिम, स्कूल-कॉलेज के छात्रों और एथलीट इसे डोप माईन हार्मोन रिलीज करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसकी बड़ी खेप मामूरा स्थित एक पीजी में सप्लाई करने के लिए आने वाली है। आरोपी कमर पर बैग लटकाकर बाइक से पहुंचा तो पुलिस ने पकड़ लिया।

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