गोरखपुर। समाजवादी पार्टी (सपा) ने गोरखपुर के मेयर पद पर पिछड़ी जाति की प्रत्याशी पर दांव लगाया है। बुधवार को पार्टी हाईकमान ने जनपद के वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन चर्चा के बाद मेयर प्रत्याशी के लिए अभिनेत्री काजल निषाद के नाम की घोषणा कर दी।
गोरखपुर के वरिष्ठ नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया गया था लखनऊ
जानकारों का कहना है कि पार्टी ने पहले से ही पिछड़ी जाति के प्रत्याशी के तौर पर उनका नाम सुनिश्चित कर लिया था। सिर्फ चर्चा के लिए गोरखपुर के वरिष्ठ नेताओं को लखनऊ बुलाया गया था। खास बात यह है कि गोरखपुर की सीट अनारक्षित होने के बाद भी पार्टी पिछड़ी जाति पर दांव लगा रही है। आरक्षण की घोषणा से पहले महिला उम्मीदवार की चर्चा थी, लेकिन जब सीट अनारक्षित हो गई तो लोग संभावना जताने लगे कि शायद पार्टी सवर्ण प्रत्याशी पर भरोसा जताए। पांच प्रस्तावित नामों में सवर्ण नाम पर ही अधिक जोर भी था, लेकिन पार्टी ने जाति विशेष को साधने के लिए पिछड़ी जाति का दांव चल दिया है।
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इस वजह से काजल निषाद को मैदान में उतारने का लिया गया निर्णय
जानकारों का मानना है कि सवर्ण प्रत्याशी होने के बाद भी इस वर्ग के मतदाता बंट जाते। जिन सवर्ण मतदाताओं का नाम उछल रहा था, वे भी मैदान में उतरने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं दिख रहे थे। ऊपर से एक लाख से अधिक मतदाताओं वाली जाति विशेष भी सपा के पाले में नहीं आ पा रही थी। ऐसे में पार्टी हाईकमान ने काजल निषाद को बतौर प्रत्याशी को मैदान में उतारने का निर्णय लिया। हाईकमान का मानना है कि पार्टी के परंपरागत वोट तो सपा के पक्ष में जाएंगे ही, पिछड़ी जाति का प्रत्याशी होने से विशेष जाति का रुझान भी बढ़ेगा। दलित जाति के वोटों को सपा के पक्ष में लाने के लिए स्वयं नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं काजल
गोरखपुर के भौव्वापार की रहने वाली काजल निषाद के पति संजय कुमार निषाद फिल्म प्रोड्यूसर हैं। काजल निषादपहला चुनाव 2012 में कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर ग्रामीण सीट से लड़ी थीं। 2020-21 में सपा में वह शामिल हुईं और पार्टी ने विश्वास जताते हुए 2022 में कैंपियरगंज विधानसभा से टिकट दिया। दोनों चुनाव में उन्हें जीत हासिल नहीं हुई। इस बार समाजवादी पार्टी ने उन्हें महापौर का प्रत्याशी बनाया है। काजल निषाद का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने आवेदन नहीं किया था। यह पार्टी हाईकमान का फैसला है। इसे स्वीकार करते हुए वह पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगी।