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27 साल बाद दिल्ली में खिला कमल, आम आदमी पार्टी में आई आपदा

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इस बार 27 साल बाद राजधानी में कमल खिला है. बीजेपी ने ये चुनाव प्रचंड बहुमत के साथ जीत लिया है और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई है. 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में बीजेपी को 48 सीटों पर जीत मिली है. वहीं लगातार तीसरी बार कांग्रेस दिल्ली में खाता तक खोलने में नाकाम रही. AAP के उदय से पहले लगातार तीन बार शीला दीक्षित की अगुवाई में दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस पिछले 3 चुनावों से एक सीट तक के लिए तरस गई है.

‘बदलकर रहेंगे…’ का नारा सफल

बीजेपी ने इस बार ‘बदलकर रहेंगे दिल्ली’ के नारे के साथ चुनाव लड़ा था और नतीजों से साफ है कि भगवा पार्टी अपने मिशन में सफल हुई है. साल 2020 के विधानसभा चुनावों में सिर्फ 8 सीटों पर सिमटी बीजेपी ने इस बार 40 सीटों की बढ़त हासिल की और आसानी से बहुमत का आंकड़ा (36) पार कर लिया है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार रैलियां की थीं. इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने करीब 18 चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. तमाम केंद्रीय मंत्रियों के अलावा योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फडणवीस समेत बीजेपी शासित कई राज्यों के सीएम दिल्ली में डेरा डाले रहे और अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई.

दिल्ली में इस बार वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को करीब 46 फीसदी वोट मिले हैं जबकि आम आदमी पार्टी करीब 44 फीसदी वोट पाने में सफल रही है. वोट शेयर में यह अंतर भले ही दो फीसदी का हो लेकिन सीटों के मामले में 26 सीट का अंतर पैदा करता है. दिल्ली में 6.40 वोट शेयर के साथ कांग्रेस तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन सीटों के मामले में उसे जीरो मिला है. साल 2015, 2020 और 2025 लगातार तीसरी बार कांग्रेस को दिल्ली में एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई है. कांग्रेस के साथ-साथ किसी छोटी पार्टी या निर्दलीय के खाते में कोई भी सीट नहीं गई. साफ तौर पर दिल्ली के अधिकतर वोटर्स ने बीजेपी या AAP में से किसी एक को ही अपना वोट दिया है.

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AAP की टॉप लीडरशिप फेल

बीजेपी के लिए यह जीत खास है क्योंकि करीब तीन दशक बाद दिल्ली की सत्ता में पार्टी की वापसी हो रही है. इससे पहले 1993 में मदनलाल खुराना की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी थी लेकिन इसके बाद से लगातार बीजेपी दिल्ली की सत्ता पाने के लिए जूझ रही थी. इस बीच 1999, 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जीत मिली. यहां तक कि पिछले तीन लोकसभा चुनावों में लगातार नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई, बावजूद इसके बीजेपी के लिए राजधानी में अपना मुख्यमंत्री बनाने का सपना अब तक अधूरा ही था, जो अब जाकर पूरा हो रहा है.

आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर के अलावा पार्टी के टॉप नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का खामियाजा उठाना पड़ा. यही वजह रही कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती जैसे सभी वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए. सिर्फ मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी में बीजेपी के रमेश बिधूड़ी के खिलाफ अपनी सीट बचाने में सफल रही हैं. केजरीवाल ने हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि AAP विधानसभा में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार है. उन्होंने उम्मीद जताई कि बीजेपी दिल्ली की जनता से किए गए वादों को पूरा करने में खरा उतरेगी.

कांग्रेस ने लगाई जीरो की हैट्रिक!

उधर, कांग्रेस ने इस बार पूरा जोर लगाते हुए दिल्ली में चुनाव लड़ा था और इसी वजह से पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली विधानसभा सीट से उतारा गया था. लेकिन बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने मौजूदा विधायक अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ इस सीट से संदीप दीक्षित को भी करारी शिकस्त दी है. इस बड़ी जीत के साथ मुख्यमंत्री पद के लिए प्रवेश वर्मा की दावेदारी मजबूत हो गई है. हालांकि उनका कहना है कि इसका फैसला बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ही करेगा. कांग्रेस पूरा जोर लगाने के बावजूद लगातार तीसरी बार दिल्ली से पूरी तरह साफ हो चुकी है.

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