ग्रेटर नोएडा: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अजनारा बिल्डर को एक माह में सात करोड़ रुपये यमुना प्राधिकरण को भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही यमुना प्राधिकरण को आदेश दिया है कि वह बिल्डर को बकाया राशि की जानकारी दे। सुनवाई की अगली तारीख तक बकाया राशि के भुगतान का रिशेड़्यूल प्लान भी दे। भूखंड आवंटन रद करने के यमुना प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ बिल्डर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
यमुना प्राधिकरण ने अजनारा बिल्डर को सेक्टर 22 ए में जून 2011 में ग्रुप हाउसिग का भूखंड आवंटित किया था। बिल्डर ने इस पर पैनोरमा नाम से परियोजना लांच की। बिल्डर का कहना है कि उसे यह भूखंड 46.87 करोड़ रुपये में आवंटित किया गया था। आवंटन के समय 14.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया और शेष राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ किस्तों में भुगतान होनी थी। बिल्डर अब तक प्राधिकरण को 48 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। प्राधिकरण ने उसे नोटिस जारी कर 15.77 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा राशि भुगतान करने के निर्देश दिए थे। बिल्डर ने प्राधिकरण से शून्य काल व अतिरिक्त राशि को समाहित करते हुए रिशेड्यूलमेंट की मांग की थी। लेकिन प्राधिकरण ने इस मांग को अनदेखा कर दिया और 13.92 करोड़ रुपये प्रीमियम राशि, 28.43 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा व 0.47 करोड़ रुपये लीजरेंट का भुगतान न करने पर आवंटन रद कर दिया। बिल्डर ने प्राधिकरण के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट में प्राधिकरण की ओर से पक्ष रखा गया कि बिल्डर प्राधिकरण का बकायेदार है। उसने प्रीमियम की पूरी राशि भुगतान नहीं की है। अतिरिक्त मुआवजा राशि का प्राधिकरण को भुगतान नहीं किया है। परियोजना में घर खरीदारों से वसूली गई राशि को एस्क्रो खाते में भी रकम जमा नहीं कराया है।
इसलिए बिल्डर के खिलाफ भूखंड आवंटन रद करने की कार्रवाई की गई है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद बिल्डर को सात करोड़ रुपये प्राधिकरण को एक माह में भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही प्राधिकरण को भी आदेश जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि यमुना प्राधिकरण ने चार मई को अजनारा बिल्डर का भूखंड आवंटन निरस्त कर उसकी 11 करोड़ 79 लाख रुपये राशि जब्त कर ली थी।