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एटा में 16 साल पहले मजदूरी मांगने पर कारीगर को फर्जी एनकाउंटर में मार डाला, 9 पुलिसकर्मी दोषी करार

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के एटा में 2006 में हुए मुठभेड़ (Etah fake encounter case of 2006) मामले में कोर्ट ने थानाध्यक्ष समेत 9 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है. करीब 16 साल बाद इस मामले में गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट (Ghaziabad CBI court) ने दोषी करार (9 including police station chief convicted) दिया है. इस मामले में बुधवार को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत में सजा पर बहस होगी. एनकाउंटर पर काफी बवाल होने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की CBI जांच कराने का आदेश दिया था.

पुलिस ने बढ़ई को बताया डकैत: मामला अगस्त 2006 का है. यूपी के एटा जिले के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र में एक मुठभेड़ हुई थी, जिसमें बढ़ई राजाराम की कथित एनकाउंटर में मौत हो गई थी. पुलिस ने बताया था कि राजाराम एक डकैत था. हालांकि, राजाराम बढ़ई का काम करता था. इस मामले में राजाराम की पत्नी ने सवाल उठाए थे और आरोप लगाया था कि उनके पति राजाराम को पुलिस ने झूठे फर्जी एनकाउंटर में मार दिया है. मामले में मृतक की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

जून 2007 में मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, तब से इस मामले में कोर्ट में सीबीआई ने तमाम सबूत एकत्रित किए थे. इस मामले में पुलिस ने तत्कालीन थानाध्यक्ष पवन कुमार समेत सभी आरोपी पुलिसकर्मियों पर चार्जशीट दाखिल की थी. इस बीच एक पुलिसकर्मी की मौत भी हो गई थी. हालांकि इतने लंबे वक्त के बाद इस केस में हुई प्रक्रिया के बाद मंगलवार को सीबीआई की विशेष अदालत गाजियाबाद ने 9 पुलिसकर्मियों को दोषी माना है, जिसमें तत्कालीन थानाध्यक्ष पवन कुमार का नाम भी शामिल है.

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सजा पर बुधवार को बहस: इस मामले में अब बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में सजा पर बहस होगी. डिफेंस की तरफ से पुरजोर कोशिश की जाएगी कि मामले में कम से कम सजा हो, लेकिन अभियोजन पक्ष पूरी कोशिश करेगा कि मामले में अधिक से अधिक सजा हो. क्योंकि मामला 302 यानी हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं का है. देखना यह होगा कि सजा पर बहस के बाद कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होता है और कितनी सजा दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों को मुकर्रर की जाती है.

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