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Apex और cyan टावर को ढहाने से पहले जानिए कितने लोगों को खाली करने होंगे फ्लैट

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नोए़डा। सुप्रीम कोर्ट के फरमान के बाद नोएडा सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावरों एपेक्स और सियान ध्वस्त किया जाएगा। तैयारी के तहत एडफिस कंपनी ने दोनों टावरों को कब्जे में लेकर मोबिलाइजेशन का काम शुरू कर दिया है। कंपनी कर्मचारी साफ सफाई और टावर को खाली कराने के लिए मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें टावर में लगे शटरिंग, दरवाजों के फ्रेम, किचन पत्थर हटाने और लिफ्ट में लगा सामान हटाया जा रहा है। साइट पर निरीक्षण के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था की कमान भी अपने हाथ में ले ली है। यही नहीं मुंबई कार्यालय से मौके पर बीमा करने वाले अधिकारियों की टीम भी पहुंची, जिन्होंने दोनों टावरों का निरीक्षण करने के बाद एमराल्ड कोर्ट की सोसायटी के प्रत्येक टावर का भौतिक निरीक्षण किया और मुंबई वापस लौट गए। साथ ही ध्वस्तीकरण के दौरान बगल की एटीएस विलेज सोसायटी में होने वाले नुकसान का भी आकलन कर गए। हालांकि जानकारी देने से साफ इनकार किया, लेकिन मोबिलाइजेशन का काम शुरू करने की पुष्टि कर दी। बताया गया है कि टीम 11 फरवरी से साइट पर काम कर रही है।

सौ करोड़ की बीमा का अनुमान

सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराने से पहले 100 मीटर का एरिया (15 टावरों) को खाली कराना होगा। इसकी जद में एमराल्ड कोर्ट के सभी टावरों के साथ-साथ एटीएस विलेज सोसायटी भी आ रही है। इसलिए करीब सौ करोड़ का बीमा कराने का निर्णय कंपनी ने लिया है। हालांकि अभी रकम को बढ़ाया व घटाया जा सकता है। नोएडा सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर एपेक्स, सियान को विस्फोटक से गिराने से पहले एमराल्ड कोर्ट के 15 टावरों में बने 650 फ्लैट में रहने वाले 2500 लोगों को फ्लैट खाली करना होगा। ध्वस्तीकरण के बाद सुरक्षा और स्ट्रक्चर जांच के बाद सभी को उनके फ्लैटों में वापस भेज दिया जाएगा। एपेक्स-सियान 16 और 17 नंबर टावर है, जिन्हें ध्वस्त किया जाना है। इन दोनों टावरों की दूरी अन्य टावरों से 9 से 18 मीटर ही है।

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टावर को तैयार करने में लागत व सामान

  • दोनों टावर बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
  • 12.50 हजार टन सरिया का किया गया प्रयोग।
  • 25 करोड़ रुपये कीमत का सरिया लगाया गया।
  • साढ़े चार लाख बैग सीमेंट का हुआ प्रयोग हुआ।
  • 25 करोड़ रुपये के रोड़ी बदरपुर का प्रयोग हुआ।
  • 26 करोड़ रुपये में बिजली संबंधी कार्य कराया गया।
  • 25 करोड़ रुपये में प्लं¨बग और फायर फाइटिंग सिस्टम लगा।
  • साइट पर एक कामगार ने औसतन करीब आठ घंटे काम किया।
  • निरीक्षक के रूप में दर्जनों इंजीनियर लगे रहे।
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