ग्रेटर नोएडा। कमिश्नरेट पुलिस की लापरवाही की वजह से गुरुवार को दिनदहाड़े सुखपाल नेता नाम के व्यक्ति की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। अब इस लापरवाही के कारण दो पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी है।
ACP सुशील गंगा प्रसाद और SHO कासना देवेश कुमार मामले में जिम्मेदार मानते हुए उन्हें हटा दिया गया। बता दें, कहा जा रहा है कि यदि पुलिस 16 दिसंबर को आरोपितों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करती तो सुखपाल की जान नहीं जाती। ग्रेटर नोएडा में 25 दिन के अंदर बदमाशों ने बंदूक की नोंक पर बदला ले लिया और पुलिस हाथ पर हाथ धरे रह गई।
दादरी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत हुई हत्या की घटना से ठीक 26 दिन पहले 16 दिसंबर की रात कासना कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत बदमाशों ने सुखपाल पर गोली चलाई थी। उस दिन कासना कोतवाली पुलिस ने सुखपाल पर हुए हमले को संदिग्ध मानते हुए आरोपितों के खिलाफ महज शांति भंग की कार्रवाई की।
सुखपाल के रिश्तेदार ने दी थी सूचना
सुखपाल के रिश्तेदार पपींद्र सिंह ने बताया कि 16 दिसंबर की रात सुखपाल पर हमला किया गया तो उसने डायल 112 और कासना कोतवाली पुलिस से शिकायत की थी। एसीपी सुशील गंगा प्रसाद ने बयान जारी किया कि मौके पर फायरिंग का कोई खोखा नहीं मिला है।
पुलिस ने गढ़ी झूठी कहानी
आस-पास के लोगों से पूछताछ की गई तो फायरिंग नहीं होना पाया गया। पुलिस ने उस दौरान मामले को झूठा साबित कर दिया। अब उसी सुखपाल की हत्या के बाद पुलिस ने उन्हीं लोगों को हिरासत में लिया है, जिन पर 16 दिसंबर को आरोप लगा था। ऐसे में पुलिस पर सवाल उठ रहे थे कि पुलिस ने अपने काम में लापरवाही बरती। इसी के तहत उन्हें हटाने का आदेश जारी कर दिया गया।