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दिल्ली हाईकोर्ट से कांग्रेस को बड़ा झटका, देने होंगे 103 करोड़ रुपये, जानें पूरा मामला

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 100 करोड़ के बकाया कर की वसूली पर रोक लगाने से इनकार करने संबंधी आईटीएटी के आदेश को बरकरार रखा है।

आईटीएटी के आदेश के खिलाफ कांग्रेस की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। मंगलवार को अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। आईटीएटी के आदेश को कांग्रेस चुनौती दी थी।

हमें नहीं मिला हस्तक्षेप का आधार

मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव ने आदेश पारित करते हुए कहा, हमें आईटीएटी के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला।

कोर्ट ने आगे कहा, हमें नहीं लगता कि 13 फरवरी, 2024 को मूल्यांकन अधिकारी द्वारा जारी अधिनियम की धारा 226(3) के तहत वसूली नोटिस में प्रामाणिकता की कमी है, जिससे हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पड़े।

आईटीएटी ने 8 मार्च को खारिज किया था कांग्रेस का आवेदन

आईटीएटी द्वारा आठ मार्च को पार्टी के आवेदन को खारिज करने के बाद कांग्रेस ने हाईकोर्ट का रुख किया था। कांग्रेस ने आईटीएटी से उसके खिलाफ वसूली कार्यवाही शुरू करने वाले आयकर विभाग के 13 फरवरी के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की थी। आकलन अधिकारी ने आकलन वर्ष 2018-19 के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की कर मांग की थी।

कांग्रेस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अदालत से आग्रह किया कि उसे कुछ सुरक्षा दी जाए अन्यथा पार्टी टूट जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए अगले कुछ दिनों में अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है और पार्टी काफी दबाव में है क्योंकि उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।

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वहीं, आयकर विभाग की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि कांग्रेस को वर्ष 2021 में मांग का 20 प्रतिशत भुगतान करने का विकल्प दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

विभाग ने कहा- यह एक नियमित प्रक्रिया

उन्होंने तर्क दिया कि यदि निर्धारिती पेशकश के समय मांग का 20 प्रतिशत जमा करने की सुविधा का लाभ नहीं उठाता है, तो पूरी राशि वसूली योग्य हो जाती है। जोहेब हुसैन ने कहा कि यह सामान्य तरीके से किया जाता है और याचिकाकर्ता पार्टी के लिए इसमें कुछ खास नहीं है।

उन्होंने कहा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि विभाग चुनाव से ठीक पहले कर की वसूली कर रहा है, लेकिन यह एक नियमित प्रक्रिया है। इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि मूल कर मांग 102 करोड़ रुपये थी और ब्याज के साथ यह 135.06 करोड़ रुपये हो गई। उन्होंने कहा कि अब तक 65.94 करोड़ रुपये मिले हैं।

इसके जवाब में कांग्रेस की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि आयकर अधिकारियों ने पार्टी के पिछले 7-8 वर्षों के मूल्यांकन को फिर से खोल दिया है।

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