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नोएडा-ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत, सरकार के इस फैसले से मिलेगा मालिकाना हक

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नोएडा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र और राज्य सरकार ने बिल्डर और बायर्स मसले को हल कर दिया। इसको लेकर पूर्व के शासन काल से कई सालों से रोजाना नोएडा, ग्रेटर नोएडा में धरना प्रदर्शन किया जा रहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की रिपोर्ट पर मुहर लगा दी।

इसके तहत रियल एस्टेट के आवासीय परियोजनाओं के डेवलपर को दो साल का जीरो पीरियड दिया गया है। इस जीरो पीरियड का ब्याज डेवलपर को नहीं देना होगा।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रोजेक्ट्स

बता दें कि नोएडा में कुल 118 प्रोजेक्ट हैं। इसमें 1 लाख 69 हजार 250 यूनिट सेंशन है। इसमें से 99 हजार 792 यूनिट को ओसी मिल चुका है। वहीं, 65 हजार 277 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है।

इसी तरह ग्रेटर नोएडा में कुल 191 प्रोजेक्ट हैं। इसमें 2 लाख 61 हजार 814 फ्लैट सेंशन हैं। कुल 1 लाख 12 हजार 960 यूनिट की ओसी मिल चुकी है। कुल 96 हजार 410 फ्लैट्स की रजिस्ट्री हो चुकी है। रोजाना करीब 10 से 20 रजिस्ट्री हो रही हैं। ऐसे में कुल 95 हजार से अधिक बायर्स को उनका मालिकाना हक मिलेगा।

खरीदार और रियल एस्टेट दोनों को राहत

ऐसे में बकाया जमा न करने वाले डेवलपर्स के परियोजनाओं में रहने वाले लाखों लोगों के फ्लैट्स की रजिस्ट्री हो सकेगी। सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ घर खरीदारों को राहत मिली है, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर को भी एक साकारात्मक संदेश दिया है।

जानकारों की मानें तो इससे रियल एस्टेट सेक्टर को भी सीधा लाभ होगा। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 95 हजार से ज्यादा बायर्स को उनको मालिकाना हक मिलेगा। साथ ही अधूरी परियोजना को भी रफ्तार मिलेगी।

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कोविड के दौरान लगभग दो साल तक ज्यादातर रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का काम रुका रहा। इसके चलते डेवलपर्स पर प्राधिकरणों का काफी बकाया हो गया। डेवलपर की मांग थी कि कोरोना के समय का उन्हें जीरो पीरियड दिया जाए। इस दौरान का ब्याज उनसे न लिया जाए।

प्राधिकरण डेवलपर्स की मांग नहीं मान रही थी, इसलिए लोगों को परियोजनाओं मे पजेशन तो मिल गया, लेकिन उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी। पिछले दिनों अमिताभ कांत ने मामले पर पूरी रिपोर्ट तैयार की और सरकार की संस्तुति के लिए भेजी थी। इस पर मंगलवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी।

बकाया पर इस प्रकार ली जाएगी सलाह

बकाया होने से ही प्राधिकरण बायर्स की रजिस्ट्री नहीं कर रहे थे। अमिताभ कांत की रिपोर्ट लागू होने के बाद अब प्राधिकरण को बायर्स की रजिस्ट्री करनी होगी। ऐसे में बिल्डर्स से बकाया कैसे वसूला जाए इसको लेकर सलाह ली जाएगी। बिल्डर्स का नोएडा प्राधिकरण पर ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में करीब 26 हजार 579 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि वाणिज्यिक परियोजनाओं में 15 हजार करोड़ से अधिक का बकाया है। इसमें हर माह ब्याज बढ़ता जा रहा है। वहीं बिल्डर्स का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर करीब 14309.7 हजार करोड़ का बकाया है।

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