नोएडा। सुपरटेक बिल्डर को लाभ पहुंचने के लिए नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने आंखमूंद कर काम किया था। बिल्डर ने जैसा चाहा, प्राधिकरण ने वैसे ही अपने नियमों मरोड़ दिए गए। विरोध करने वाले सोसायटी वासियों की आवाज को भी नहीं सुना गया।
बिल्डर नियम विरूद्ध टावर का निर्माण करता गया। सियान टावर में 29 मंजिल व एपेक्स टावर में 32 मंजिला फ्लैट बना दिए गए। ऐसा नहीं है कि यह रातोंरात बन गए थे। लंबा समय लगा, लेकिन इंजीनियरों अपनी आंखें बंद कर बिल्डर को निर्माण करने की खुली छूट दे दी थी।
मौके पर जाकर एक भी निरीक्षण नहीं किया गया। अब इन अधिकारियों की गर्दन फंसना तय है। जांच में 11 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। इनमें नियाेजन विभाग के सात, परियोजन विभाग व विधि विभाग के दो-दो अधिकारी शामिल हैं।
देश में चर्चा का विषय बना था टि्वट टावर
बता दें कि टि्वट टावर का मामला देश में चर्चा का विषय बना था। नोएडा के सेक्टर 93ए में बने सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर एपेक्स और सियान को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 28 अगस्त 2022 को विस्फोटकों की मदद से ध्वस्त कर दिया था।
शासन ने पहले औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति से जांच कराई। समिति की जांच के बाद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों समेत बिल्डर कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया ।
मानक विरूद्ध क्यों स्वीकृत किया मानचित्र?
कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन्हीं 11 अधिकारियों को दोषी माना था। इसके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव को विभागीय जांच सौंपी गई। एक सप्ताह पहले उन्होंने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी। सूत्रों के अनुसार उनकी जांच में भी उक्त अधिकारियों को ही दोषी माना गया है।
नियोजन विभाग में तैनात अधिकारियों ने टावर की ऊंचाई और उनके बीच की दूरी के मानक तकनीकी रूप से सही न होने के बावजूद मानचित्र स्वीकृत कर दिए। मानचित्र की स्वीकृति देते हुए प्राधिकरण के नियोजन विभाग के अधिकारियों ने दरियादिली दिखाई।
टावर की ऊंचाई, उनके बीच की दूरी तय करने में सुरक्षा मानकों तक की अनदेखी कर दी। यही नहीं एमेराल्ड कोर्ट सोसायटी में रहने वालों की जिदंगी तक को दांव पर लगा दिया।
कब कब क्या हुआ?
- 2004: सेक्टर-93ए में सुपरटेक को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के लिए प्राधिकरण से जमीन आवंटित हुई
- 2005: सुपरटेक को 10 मंजिल व 14 टावर बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण से अनुमति मिली
- 2006: सुपरटेक ने प्रोजेक्ट के लिए और जमीन मांगी। एक और टावर बनाने कि लिए अनुमति मिली। टावरों की संख्या 15 हुई।
- 2009: सुपरटेक ने दोबारा बिल्डिंग प्लान रिवाइज किया। एपेक्स व सियान नाम के दो और टावर बढ़ाए। निवासियों के विरोध के बीच काम शुरू।
- 2012: एपेक्स और सियान को 24 से 40 मंजिला करने के लिए सुपरटेक ने एक बार फिर प्लान रिवाइज किया।
- दिसंबर 2012: ग्रीन एरिया में निर्माण करने और टावरों की बीच 16 मीटर से कम दूरी के लिए नियमों के उल्लंघन को लेकर सोसायटी निवासियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट कर रुख किया।
- 2014: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए दोनों टावरों को गिराने का आदेश दिया। प्राधिकरण को बिल्डर के साथ मिलीभगत के लिए फटकार लगाई।
- मई 2014: सुपरटेक ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- 31 अगस्त 2321: सुप्रीम कोर्ट में टावर ध्वस्त करने के निर्णय पर मुहर लगाई। 28 अगस्त 2022: दोनों टावर ध्वस्त किए गए
अधिकारियों के खिलाफ होगा एक्शन
निर्माण कार्यों की निगरानी करने वाले अभियंता ने भी ट्विन टावर के निर्माण के दौरान भौतिक निरीक्षण करना तक मुनासिब नहीं समझा कि टावर का निर्माण स्वीकृत मानचित्र व तय मानकों पर हो भी रहा है या नहीं। इसलिए टावर निर्माण धड्ल्ले से जारी रहा और देखते ही देखते सोसायटी में रहने लोगों के लिए दोनों टावर मौत के दानव के रूप में खड़े गए गए।
सोसायटी के लोगों ने आरटीआइ के माध्यम से टावर की स्वीकृति की जानकारी मांगी थी। विधि विभाग ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। एसीईओ ने इन सभी बिंदूओं को इंगित करते हुए जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को सौंप दी है। शासन स्तर से इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
ये 11 अधिकारी पाए गए दोषी
नियोजन विभाग के तत्कालीन प्रबंधक मुकेश गोयल, वरिष्ठ प्रबंधक ऋतुराज व्यास, सहयुक्त नगर नियोजक विमला व एके, सहायक वास्तुविद प्रवीण श्रीवास्वत, प्लानिंग असिस्टेंट अनीता, विधि सलाहकार राजेश कुमार, विधि अधिकारी ज्ञान सिंह, परियोजना अभियंता एससी त्यागी व बाबूराम शामिल है।