नई दिल्ली। राजस्थान में फोन टैपिंग मामले में गहलोत सरकार अब चारों तरफ से घिरती नजर आ रही है। एक तरफ जहां भाजपा, इस मामले पर उनके खिलाफ लगातार हमलावर है। इसी बीच देश की एक और अहम राजनीतिक पार्टी ने भी फोन टैपिंग मामले में गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। राजस्थान में विधायकों की फोन टैपिंग मामले पर एक दिन पहले बसपा सुप्रीमो मायावती के गहलोत सरकार पर हमला बोलने के बाद अब बहुजन समाजवादी पार्टी(बसपा) आक्रामक रुख अपना रही है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधींद्र भदोरिया ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को कथित फोन टैपिंग के लिए फटकार लगाई है और कहा है कि इस तरह की करतूतें गौर-लोकतांत्रिक और असंवैधानिक हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए भदौरिया ने कहा कि मुझे लगता है कि फोन टैपिंग का मुद्दा बहुत गंभीर है। यह संविधान और लोकतांत्रिक मानदंडों की भावना के खिलाफ है। यह लोगों के जीवन में अतिक्रमण करने जैसा है और इसलिए इस तरह की चाजें लोकतांत्रिक मानदंड और संविधान के खिलाफ हैं। फोन टैपिंग में शामिल सभी लोगों की जांच की जानी चाहिए और इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
भदोरिया ने आरोप लगाया कि अशोक गहलोत ने कांग्रेस में बसपा के सभी छह विधायकों के दलबदल का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बार-बार वे इंजीनियरिंग डिफेक्शन में लिप्त हैं। यह संसद द्वारा बनाए गए कानून के खिलाफ है। मुझे लगता है कि फ्लोर टेस्ट एक लोकतांत्रिक प्रथा है, लेकिन गहलोत सरकार द्वारा दलबदल में कुछ ऐसा है जिस पर हमें गंभीर आपत्ति है।
मायवती ने किया गहलोत सरकार पर हमला
इससे पहले शनिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने फोन टैपिंग पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करते हुए ट्वीट किए। बसपा प्रमुख ने कहा, गहलोत ने दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन किया। दूसरी बार दगाबाजी कर बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टैप कराकर गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है। मायावती ने कहा कि इस प्रकार राजस्थान में लगातार जारी राजनीतिक गतिरोध, आपसी उठापटक व सरकार की अस्थिरता के हालात का राज्य के राज्यपाल को प्रभावी संज्ञान लेना चाहिए और राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो।
इससे पहले शनिवार को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की थी और इस बात पर कई सवाल उठाए थे कि क्या कांग्रेस फोन टैपिंग में लिप्त है।