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शानदार है इन दिनों मौसम, पर ये पोलन एलर्जी को भी ट्रिगर कर सकता है, जानिए क्या है ये

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मार्च के महीने में न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही गर्मी। चारों ओर खिले रंग-बिरंगे फूलों का सौंदर्य सबका मन मोह लेता है, लेकिन उनके पोलन (पराग कणों) से होने वाली एनर्जी कुछ लोगों को परेशान कर देती है। आइए जानें इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्यों होती है यह समस्या

वसंत ऋतु में मौसम बहुत सुहावना होता है और अगर आप किसी पार्क के आसपास से गुजरते हैं तो उसके आसपास रंग-बिरंगे मौसमी फूलों की भीनी-भीनी खुशबू बरबस ही आपका ध्यान खींच लेती है। यह सुगंध आमतौर पर बहुत अच्छी होती है, लेकिन इससे कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या होती है।

दरअसल फूलों में अति सूक्ष्म पाउडर के जैसा तत्व होता है, जिसे पोलन या परागकण कहा जाता है। जो फूलों या किसी प्रकार की वनस्पति को निषेचित करने का काम करता है। इसी की वजह से पेड़-पौधों के फूलों और फलों की संख्या में वृद्धि होती है। तितली, मधुमक्खी या भौरा जैसे की जब किसी एक फूल पर बैठने के बाद दूसरे फूल पर जाके हैं तो उनके पैरों में लगा पराण कण उसी प्रजाति के दूसरे फूल को निषेचित करने का काम करते हैं। ये पोलन इतने सूक्ष्म होते हैं कि हवा में तैर रहे होते हैं और सांसों के साथ सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं। चूंकि पराण कण बाहरी तत्व होते हैं इसलिए व्यक्ति का शरीर उसे स्वीकार नहीं करता और उसके खिलाफ लड़ने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम एलर्ट हो जाता है। नतीजतन शरीर में तुरंत एलर्जिक रिएक्शन शुरू हो जाता है।

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प्रमुख लक्षण

हर व्यक्ति में पोलन एलर्जी के बाद अलग तरह की समस्याएं हो सकती हैं लेकिन कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं- बार-बार छींक आना, गले में खराश, नाक बहना, आंखों में जलन और पानी गिरना, सांस लेने में तकलीफ और बुखार।

इस एलर्जी से संबंधित बुखार को ‘हे फीवर’ कहा जाता है। जिन्हें पहले से अस्थमा की समस्या हो, पोलन एलर्जी की वजह से उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है। गंभीर स्थिति में सांस की नली सिकुड़ने लगती है और इससे सांस लेने में तकलीफ होती है। इस समस्या को एलर्जिक राइनाटिस भी कहा जाता है।

कैसे करें बचाव

– बाहर निकलते समय एन-95 मास्क और सन ग्लास पहनें।

– अगर घर में किसी को एलर्जी की समस्या हो तो दिन के समय खिड़कियां बंद रखें।

– अपनी इम्युनिटी मजबूत बनाने के लिए डाइट प्रोटीन और विटामिन सी युक्त चीज़ों जैसे- दाल, अंकुरित अनाज, सोयाबीन अंडा, चिकन और संतरा जैसे खट्टे फलों को प्रमुखता से शामिल करें।

– अगर किसी को पहले से अस्थमा की समस्या हो तो उसे इस बदलते मौसम में वॉक के लिए बाहर नहीं जाना चाहिए।

– अस्थमा के मरीज इस मौसम में अपना विशेष ध्यान रखें और सारी दवाएं सही समय पर लें।

– आमतौर पर दवाओं से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है, फिर भी उपचार से बेहतर है बचाव इसलिए इस मौसम में खुद को एलर्जी से बचाकर रखें।

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