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वक्फ बोर्ड की 45 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने वाले जालसाज अशोक पाठक को सीबीआई ने दबोचा

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लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) जालसाजी के मामले में जमीन बेचकर लगभग 45 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपित अशोक पाठक पर और शिकंजा कसने जा रही है। सीबीआइ उसके खिलाफ और सुबूत जुटा रही है। उसे सात मई को ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

हाई कोर्ट में छद्म नाम से याचिका दाखिल करने व करोड़ो की धोखाधड़ी के मामले में निरुद्ध अशोक पाठक की जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी है। अशोक पाठक दो अलग-अलग मामलों में वांछित चल रहा था। वर्ष 2016 में दर्ज एफआइआर में भी उसकी तलाश थी। पहला मामला वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली के जाली हस्ताक्षर कर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने से संबंधित है। इस मामले में अशोक पाठक के अलावा एक अधिवक्ता सहित अन्य के विरुद्ध एफआइआर दर्ज हुई थी।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार का 10 मई 2016 का भूमि अधिग्रहण आदेश अवैध है, क्योंकि यह भूमि वक्फ की है। जांच के बाद अशोक पाठक समेत अन्य आरोपितों के विरुद्ध 30 दिसंबर 2020 को सीबीआइ की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया। इसके बाद संबंधित भूमि वापस राज्य सरकार के खाते में दर्ज कर दी गई थी।

दूसरा मामला भी वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली के फर्जी हस्ताक्षर से अवमानना याचिका दायर करने से संबंधित है। यह एफआइआर भी अशोक पाठक के अलावा एक अधिवक्ता और अन्य अज्ञात के विरुद्ध दर्ज हुई थी। यह मामला वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली का जाली हस्ताक्षर कर वर्ष 2015 में अवमानना याचिका दायर करने से संबंधित है। इसमें यह दावा किया गया था कि सरकार ने आरोपित व्यक्तियों का निर्माण गिराकर अवमानना की है।

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जांच के बाद इस मामले में भी अशोक पाठक समेत दो आरोपियों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2020 को विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। दोनों याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष लखनऊ स्थित लगभग 57 हेक्टेयर सरकारी भूमि हथियाने के लिए दायर की गई थी। इसमें लगभग 45 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी शामिल थी।

हाई कोर्ट में छद्म नाम से याचिका दाखिल करने व करोड़ो की धोखाधड़ी के मामले में निरुद्ध अशोक पाठक की जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी है। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार दिया है।

शनिवार को ही सीबीआइ ने इसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था। अदालत ने इसे भगौड़ा अपराधी घोषित कर रखा था, साथ ही इसके खिलाफ स्थाई रूप से गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया था। इससे पहले इसकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश भी दिया गया था।

सीबीआइ के मुताबिक अभियुक्त अशोक पाठक ने मेसर्स लैंड मार्क प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक की हैसियत से एक वकील के मार्फत खुर्शीद आगा के फर्जी दस्तखत से हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल किया था। इस बात की जानकारी जब खुर्शीद आगा को हुई, तो उसने बताया कि यह याचिका उसने दाखिल नहीं किया है।

हाई कोर्ट ने तब इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी। विवेचना में यह भी सामने आया कि अभियुक्त ने मेसर्स आधुनिक सहकारी गृह निर्माण समिति के कथित सचिव कपिल प्रताप राना के साथ मिलकर एक जमीन की खरीद-बिक्री में करीब तीन करोड़ का वारा-न्यारा किया है।

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