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यूपी में 16 और दिल्ली व कोलकाता में एक-एक स्थान पर सीबीआई का छापा, शत्रु संपत्ति के रखवालों ने कौड़ियों में दे दी करोड़ों की जमीन

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लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने शत्रु संपत्तियों से जुड़े घोटाले में अलग-अलग चार एफआइआर दर्ज करते कुल 53 लोगों को आरोपित बनाया है। इन्हें कौड़ियों के भाव शत्रु संपत्ती दे दी गई। इनमें दो एफआइआर लखनऊ व दो गाजियाबाद में दर्ज हुईं हैं। दोनों ही स्थानों पर एफआइआर शत्रु संपत्ति के सहायक कस्टोडियन अभिषेक अग्रवाल ने दर्ज कराई हैं। लखनऊ में दर्ज एफआइआर में 22 व गाजियाबाद में दर्ज एफआइआर में 31 आरोपित बनाए गए हैं। सीबीआइ ने गुरुवार को लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, गाजियाबाद, नोएडा, कासगंज, बुलंदशहर सहित कुल 40 स्थानों पर छापे मारे हैं।

सीबीआइ ने लखनऊ में ही 15 स्थानों पर छापे मारे जबकि बाराबंकी में दो स्थानों पर छापेमारी हुई। इसके अलावा दिल्ली व कोलकाता में भी छापे मारे गए हैं। सीबीआइ ने लखनऊ में प्रापर्टी डीलर अनूप राय के यहां से 82 लाख रुपये बरामद किए हैं। इसके अलावा छापेमारी में कंप्यूटर, लैपटाप और महत्वपूर्ण दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं।

सीबीआइ ने जो एफआइआर दर्ज की है उसके अनुसार लखनऊ के मलिहाबाद तहसील के नौबस्ता गांव में 8.07 एकड़ आम का बाग है। यहां 177 आम के पेड़ हैं। यह बाग 1995 में अविनाश के नाम पर आवंटित किया गया था। वर्ष 2016 में इस बाग को नए सिरे से अविनाश को पांच हजार रुपये सालाना किराये की दर पर शत्रु संपत्ति के असिस्टेंट कस्टोडियन उत्पल चक्रवर्ती द्वारा दिया गया, जबकि इसका बाजार मूल्य 5.55 लाख रुपये सालाना था। लीज के आवंटन में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। न्यायालय के आदेशों को भी नजर अंदाज किया गया। अविनाश तिवारी मौजूदा समय में राजस्व विभाग में संग्रह अमीन के पद पर कार्यरत है और वह पूर्व तहसीलदार आरसी तिवारी के भाई हैं।

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इसी तरह मलिहाबाद में ही खखरा गांव में 9.7 एकड़ की आम की एक अन्य बाग राम प्रताप सि‍ंह के नाम पर आवंटित किया गया। इस बाग की कीमत शत्रु संपत्ति के असिस्टेंट कस्टोडियन उत्पल चक्रवर्ती ने नौ हजार रुपये सालाना तय की, जबकि इसका बाजार मूल्य 6.24 लाख रुपये सालाना था। 2016 से 2022 के बीच यहां भी सरकार को लगभग 37 लाख रुपये का चूना लगा।

ऐसा ही एक 19 एकड़ का बाग लखनऊ के काकोरी के अजमत नगर गांव में है इसे 55 हजार रुपये सालाना किराये पर बाबू लाल को दिया गया। इसका बाजार मूल्य 12.22 लाख रुपये सालाना था। यहां भी उत्पल चक्रवर्ती ही अधिकारी थे। जुग्गौर में लगभग 11 एकड़ की कृषि भूमि सपना सिंह, सिराज इकबाल और मोहसिन इकबाल के नाम पर 42,940 रुपये प्रति वर्ष के किराये पर तालाब की जमीन बताकर आवंटित कर दिया गया। इस जमीन का बाजार मूल्य 1.32 लाख रुपये सालाना था। लखनऊ के जुग्गौर में अनूप राय के नाम 11 एकड़ से अधिक जमीन नियमों की अनदेखी करते हुए की गई, जिसका राजस्व रिकार्ड ही नहीं है।

सीबीआइ ने जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की है उनमें शत्रु संपत्ति के तत्कालीन कस्टोडियन समंदर सिंह राना, असिस्टेंट कस्टोडियन उत्पल चक्रवर्ती, चीफ सुपरवाइजर रमेश चंद्र तिवारी के अलावा निजी व्यक्तियों अविनाश चंद्र तिवारी, राम प्रताप सिंह, बाबूलाल, स्वप्ना, सिवाज इकबाल, मोहरिन इकबाल और अनूप राय शामिल हैं। दूसरी एफआइआर में 12 लोगों को नामजद किया गया है जिनमें कस्टोडियन कार्यालय के तीनों अधिकारियों के अलावा सुनील कुमार वाजपेयी, ओमप्रकाश सिंह, ज्ञानेंद्र तिवारी, जैनुद्दीन मोहम्मद सिद्दीकी, उमैर सिवाज, बिलाल अहमद, दिवाकर, रूद्रेश पांडेय और विनय श्रीवास्तव शामिल हैं।

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