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विश्व पर्यावरण दिवस पर सीएम धामी ने किया वृक्षारोपण कहा-सचिवालय एवं विधानसभा को बनाया जायेगा प्लास्ट

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सचिवालय और विधानसभा को प्लास्टिक मुक्त बनाया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेशभर में शहरों को स्वच्छ बनाने और प्लास्टिक मुक्ति का अभियान चलाया जाएगा। इसकी शुरूआत देहरादून से की जाएगी। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में 75 आर्द्रभूमियों की पहचान कर उनका जीर्णोद्धार करें।

रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के निकट कैंट रोड पर पौधरोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की शपथ भी दिलाई। इस दौरान सीएम धामी ने कैंप कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तक ‘एनुअल वाटर क्वालिटी रिपोर्ट 2021’ का विमोचन भी किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि चंपावत को वोकल फॉर लोकल आधारित आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी के रूप में खड़ा किया जाएगा, ताकि हिमालय राज्यों के लिए यह एक मॉडल बन सके। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, पर्यावरण पर्यटन की दिशा में भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा। जीडीपी के साथ जीईपी का आकलन करना जरूरी है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, निदेशक पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एसके सुबुद्धि आदि मौजूद रहे।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। जंगल हमें विरासत में मिला है। इनके संरक्षण के लिए हमें इनको लोगों की आजीविका से जोड़ना होगा। इकोलॉजी बेस एम्प्लॉयमेंट को जनरेट करना होगा। वन पचायतों को मजबूत करने के साथ ही उनको आजीविका से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है। विकास एवं पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

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इकोलॉजी को इकोनॉमी से जोड़कर आगे बढ़ाना होगा: जोशी

पर्यावरणविद् डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी राज्य को इकोलॉजी को इकोनॉमी से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहते हैं, यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बहुत जरूरी है। उत्तराखंड देवभूमि है और देवों का हमेशा प्रकृति से जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि से ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना चिंताजनक है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयोग होने चाहिए।
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