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नाबालिग से शादी के बाद सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी ‘रेप’, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

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प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भले ही एक नाबालिग लड़की अपना घर छोड़कर किसी से विवाह करती है और अपनी इच्छा से शारीरिक संबंध स्थापित करती है, लेकिन नाबालिग की इस इच्छा का कोई महत्व नहीं होता।

ऐसा शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग की सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध में उसकी सहमति का कोई महत्व नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग से शादी के बाद उसकी सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया।

जमानत की अर्जी खारिज

दरअसल, याचिका में आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि उसने नाबालिग से सहमति से शादी की। उसकी सहमति से ही उससे शारीरिक संबंध बनाए। इस पर न्यायमूर्ति साधनारानी ठाकुर ने अलीगढ़ के प्रवीण कश्यप नामक एक व्यक्ति की जमानत की अर्जी खारिज कर दी। प्रवीण ने एक नाबालिग लड़की के साथ विवाह किया था और दोनों पति पत्नी की तरह रह रहे थे।

याचिकाकर्ता के वकील की दलील

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पीड़ित द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक, उसने अपनी इच्छा से घर छोड़ा था और विवाह किया था। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता चार जून, 2022 से जेल में है, इसलिए उसकी जमानत का अनुरोध किया जाता है।

शासकीय अधिवक्ता की आपत्ति

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अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत याचिका पर यह कहते हुए आपत्ति की कि अलीगढ़ के नहरौला खैर स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र के मुताबिक पीड़िता की जन्म तिथि 10 मई, 2006 है और घटना के दिन दो जून, 2022 को लड़की नाबालिग थी, इसलिए उसकी इच्छा कोई मायने नहीं रखती।

हाई कोर्ट ने दिया आदेश

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संबद्ध पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर ध्यान देते हुए मुझे इस मामले में जमानत मंजूर करना उचित नहीं लगता। इसलिए जमानत की अर्जी खारिज की जाती है।

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