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धरती खोदी और चट्टानों को चीरा…आखिरकार 104 घंटे बाद 65 फीट की गहराई से राहुल को निकाल लिया बाहर

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जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में बोरवेल के गड्ढे में गिरे राहुल को आखिरकार बाहर निकालने में सफलता मिल गई है। करीब 104 घंटे तक बोरवेल में फंसे रहे राहुल साहू को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने सफलतापूर्वक बोरवेल से बाहर निकाल लिया है। बोरवेल में फंसे राहुल का रेस्क्यू आपरेशन तकरीबन चार दिनों से जारी था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार राहुल के रेस्क्यू आपरेशन का जायजा ले रहे थे।

राहुल की रेस्क्यू में जुटी सेना की टीम के एक सदस्य गौतम सूरी ने बताया कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण आपरेशन था। टीम के सदस्यों के संयुक्त प्रयासों से राहुल को सफलतापूर्वक बचाया जा सका। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी सफलता है। सेना के करीब 25 अधिकारियों को यहां तैनात किया गया था।

छत्तीसढ़ मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी दी कि राहुल साहू को बिलासपुर अपोलो अस्पताल ले जाया गया है। फिलहाल उन्हें विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम की निगरानी में आईसीयू में रखा गया है।

राहुल को स्वास्थ्य परिक्षण के लिए ग्रीन कारिडोर से बिलासपुर रवानगी कर दी गई है। राहुल को बाहर लेन की कमान सेना ने अपने हाथ में संभाल ली थी। कुछ ही घंटों में उसे सुरक्षित निकाल लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही थी। रेस्क्यू टीम उसके करीब पहुंच चुकी थी, लेकिन रास्ते में बड़ी चट्टान के आ जाने से पूरी सावधानी बरती जा रही थी। दोपहर में उसके शरीर में हलचल दिखी थी। घटनास्थल से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल तक ग्रीन कारिडोर बना दिया गया, ताकि राहुल के निकलते ही उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके।

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शुक्रवार 10 जून की शाम को राहुल खेलते-खेलते बाड़ी में बने बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। तब से उसे निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू चल रहा था। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल एसडीआरएफ, गुजरात की रोबोटिक टीम के बाद अब सेना ने अभियान की कमान संभाल ली थी। सोमवार से राहुल कुछ सुस्त नजर आ रहा था। बोरवेल में पानी का जलस्तर बढ़ता देख पूरे गांव के बोरवेल को कई घंटे तक चलाया गया। गांव के चेकडैम के गेट को भी खोल दिए गए, ताकि राहुल पानी में न फंस जाए। रेस्क्यू टीम सुरंग बनाकर जहां तक पहुंची, उसके ऊपर की चट्टन की दूसरी ओर राहुल बैठा हुआ था। इसके चलते चट्टान को काटने में पूरी सावधानी बरती जा रही थी।

टार्च की रोशनी में काट रहे थे चट्टान

टार्च की रोशनी में चट्टान को काटने का काम चल रहा था। सेना के जवान घुटनों के बल सुरंग में बैठकर काम कर रहे थे। बड़ी मशीन के उपयोग से कंपन होने के खतरे को भांपते हुए हैंड ड्रिलिंग मशीन और स्टोन ब्रेकर मशीन का उपयोग किया जा रहा था। राहुल के सुरक्षित निकल जाने को लेकर जगह-जगह प्रार्थनाएं भी हो रही थीं।

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