लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने का सपना संजोय एक दिव्यांग छात्र की उम्मीद उस समय टूट गई जब उसे विश्वविद्यालय में हास्टल नहीं मिल सका। नियमों का हवाला देकर उसे बताया गया कि हास्टल आवंटन में दिव्यांग कोटा नहीं है। शनिवार को आखिरकार उसने प्रार्थना पत्र देकर अपना प्रवेश निरस्त करा दिया और टीसी लेकर वापस गांव चला गया। सीतापुर के महौली ब्लाक में चवा बेगमपुर गांव के रहने वाले कमल दीप तिवारी का एक हाथ व पैर ठीक से काम नहीं करता है।
कलम ने बताया कि लवि में पढ़ने की इच्छा हुई तो बीए के लिए प्रवेश परीक्षा दी। ओपन रैंक 777 आई और प्रवेश हो गया। घर 125 किलोमीटर दूर है। इसलिए हास्टल के लिए आवेदन किया और उसमें फिजिकल हैंडीकैप (पीएच) की श्रेणी भर दी। दो दिन पहले जब हास्टल आवंटन का रिजल्ट आया तो सूची में उसका नाम नहीं था। परेशान होकर उसने लवि के ट्वीवर के माध्यम से हास्टल का अनुरोध किया।
बात नहीं बनी तो शनिवार को वह अपने ताऊ के साथ चीफ प्रोवोस्ट के पास पहुंचा। लेकिन दो घंटे तक इंतजार करने के बाद उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। कार्यालय में बताया गया कि दिव्यांगों के लिए हास्टल आवंटन में आरक्षण नहीं लगता है। निराश होकर कमल ने अपना प्रवेश निरस्त करने के लिए प्रार्थना दिया और वापस चला गया।
लवि में हास्टल आवंटन में ओबीसी, एससी, एसटी को छोड़ कोई भी आरक्षण देने का नियम नहीं है। मामला संज्ञान में आया था, लेकिन बिना नियम आवंटन नहीं किया जा सकता। -प्रो. अनूप कुमार सिंह, चीफ प्रोवोस्ट, लखनऊ विश्वविद्यालय।