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डॉक्टरों ने हिंदी में इलाज के पर्चे बनाकर किया हिंदी भाषा का सम्मान

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* विश्व हिन्दी दिवस पर डॉक्टरों ने दिखाई हिन्दी के प्रति प्रतिबद्धता

नोएडा: विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अनूठी पहल करते हुए मरीजों के लिए दवाइयों के पर्चे हिन्दी में लिखे, साथ ही सोशल मीडिया पर सारी पोस्ट हिंदी में की। इसके अलावा अस्पताल के नोटिस बोर्ड पर सारी जानकारी हिंदी में लिखी गई। इस कदम ने न केवल हिन्दी के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि मरीजों की सुविधा में भी इजाफा किया। अस्पताल प्रशासन और मरीजों ने इस पहल की सराहना की और इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया।

फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता का कहना है कि हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना, वैश्विक स्तर पर हिन्दी को एक सशक्त भाषा के रूप में स्थापित करना और इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को उजागर करना है। यह पहल हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे सम्मान देने के लिए की गई। आमतौर पर दवाइयों के पर्चे अंग्रेजी में लिखे जाते हैं, जिससे कई मरीज, खासकर ग्रामीण या कम शिक्षित पृष्ठभूमि वाले लोग, दवाओं की सही जानकारी समझने में असमर्थ रहते हैं। फेलिक्स अस्पताल ने इस चुनौती को पहचानते हुए विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर दवाइयों के पर्चों को हिन्दी में लिखने का निर्णय लिया। डॉक्टरों को हिन्दी में पर्चे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। दवाइयों के नाम, खुराक और अन्य निर्देश हिन्दी में स्पष्ट रूप से लिखे गए ताकि मरीज और उनके परिवार के सदस्य इसे आसानी से समझ सकें। इस पहल को आगे भी जारी रखेंगे। हिन्दी में लिखे गए पर्चे न केवल मरीजों के लिए मददगार हैं, बल्कि यह अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण है। अस्पताल में आए मरीजों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि अब वे दवाइयों और उनके सेवन की विधि को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं। मरीजों ने भी कहा कि पहले पर्चे पर लिखी दवाओं को समझने के लिए किसी की मदद लेनी पड़ती थी। हिन्दी में सबकुछ स्पष्ट है। यह उनके के लिए बहुत मददगार है। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, एक्स, लिंक्ड इन आदि पर सभी पोस्ट हिंदी में की। इसके अलावा अस्पताल के नोटिस बोर्ड पर सारी जानकारी हिंदी में लिखी गई। जिससे लोगों को इस दिन का महत्व बताया जा सके। उन्होंने बताया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और पहचान का हिस्सा है। हिन्दी में पर्चे लिखकर हमने न केवल मरीजों की सुविधा बढ़ाई, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका भी दिया । विश्व हिन्दी दिवस पर इस पहल ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में भाषा की भूमिका को महत्व दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे सरल बदलाव आम लोगों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। यह पहल हिन्दी भाषा को सम्मान देने और इसे जन-जन तक पहुंचाने का सार्थक प्रयास है। अस्पताल की यह पहल हिन्दी दिवस को नई दिशा देती है और यह संदेश देती है कि भाषा की सादगी और सहजता से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।

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