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अमेरिकी सेब के आयात पर अतिरिक्त शुल्क हटाने से घरेलू उत्पादकों को नहीं होगा नुकसान, लागू रहेंगी ये दरें

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जी20 समिट के ठीक पहले भारत सरकार ने अमेरिकी सेब के आयात पर लगने वाले एडिशनल ड्यूटी को हटाने का फैसले ले लिया. सरकार के इस फैसले की आलोचना हो रही है जिसके बाद वाणिज्य मंत्रालय ने सफाई दी है. मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले का स्थानीय व्यापारियों के ट्रेड पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि केवल एडिशन ड्यूटी को खत्म किया गया है जबकि कम अमेरिकी सेब के आयात के बावजूद 50 फीसदी के बेसिस ड्यूटी को बरकरार रखा गया है.

वाणिज्य मंत्रालय के एडिशनल सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि अगर कोई फैसले का कोई विपरीत असर पड़ता है तो सरकार के पास पर्याप्त पॉलिसी स्पेस है जिससे वो स्थानीय सेब उपजाने वाले किसानों के हितों की रक्षा कर सकती है. वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि सरकार के इस फैसले से घरेलू सेब के साथ अखरोट और बादाम उपजाने वाले प्रोड्यूसर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

मंत्रालय के मुताबिक सरकार के इस फैसले से प्रीमियम सेगमेंट वाले सेब, अखरोट और बादाम में प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगा जिससे घरेलू उपभोक्ताओं को बेहतर कीमत पर अच्छी क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स उपलब्ध होगा.

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2019 में 20 फीसदी का एडिशनल ड्यूटी अमेरिकी सेब, अखरोट और 20 रुपये किलो बादाम पर लगाने का फैसला सरकार ने अमेरिका के भारतीय वाले स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने के बाद लिया था. सरकार ने ये ड्यूटी अमेरिका के भारतीय स्टील एल्युमिनियम प्रोडेक्ट्स अमेरिकी मार्केट तक एक्सेस देने के भरोसे के बाद वापस लिया है. सरकार ने कहा कि एमएफएन ड्यूटी के तहत अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम के इंपोर्ट पर लगने वाले 50 फीसदी, 100 फीसदी और 100 रुपये किलो के ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

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दरअसल 2018-19 में अमेरिकी सेब का आयात 127,908 टन से घटकर 2022-23 में 4486 टन पर आ गया. अमेरिकी सेब पर एडिशनल ड्यूटी लगने के बाद उसकी जगह दूसरे देशों के सेब ने भारतीय बाजार में ले ली. सरकार ने कहना है कि बारत और अमेरिका ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में अपने सभी विवादों को सुलझा लिया है.

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