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नेपाल में भूकंप से मची तबाही, दहशत में सड़क पर रात गुजारने को मजबूर हुए सैकड़ों पीड़ित

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मैं अपने घर में सोया हुआ था, जब अचानक से सब कुछ बुरी तरह से हिलने लगा. मैंने भागने की कोशिश की लेकिन पूरा घर ढह गया. मैंने निकलने की कोशिश की, लेकिन मेरा आधा शरीर मलबे में दब गया था. ये कहना है नेपाल के बिमल कुमार करकी का, जिनको इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था.

नेपाल में तीन नवंबर की रात को आए 5.7 की तीव्रता वाले भूकंप ने काफी कुछ तबाह कर दिया है. आपकी नजर इलाके में जहां तक भी जाएंगी, आपको त्रासदी के निशान और उन सपनों के टूटे हुए आशियानों के मलबे दिखाए पड़ेंगे, जहां कभी खुशहाली हुआ करती थी. हालात ये हैं कि उत्तर-पश्चिमी नेपाल के पहाड़ों में हजारों ग्रामीण कड़ाके की ठंड में बाहर सोने को मजबूर हैं. माना जा रहा है कि इन इलाकों में सबसे ज्यादा तबाही हुई है. लगभग इलाके के सारे घर नष्ट हो गए हैं.

जाजरकोट और चीयूरी में तबाही

जाजरकोट गांव में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. यहां सारे मकान या तो ढह गए या फिर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं, तो वहीं चीयूरी गांव का हाल भी अकल्पनीय है. लोगों को रात बिताने और खुद को ठंड से बचाने के लिए जो मिल रहा है, उसका वो इस्तेमाल कर रहे हैं. लोग प्लास्टिक शीट्स और पुराने फटे कपड़ों से जैसे-तैसे अपना शरीर ढकने को मजबूर हैं. प्रकृति की मार के आगे लाचारी का आलम ये है कि लोग गिर चुके मकानों के मलबे के बीच अपने सामान और अपनों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन न सामान मिल रहा है, ना अपनों का कोई निशान.

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अब तक 157 लोगों की मौत

नेपाल में आए इस भीषण भूकंप में अबतक 157 लोगों की मौत हो चुकी है. अधिकारियों का मानना है कि हालांकि भूकंप की तीव्रता उतनी नहीं थी, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में खराब गुणवक्ता वाले निर्माण के कारण मरने वालों की संख्या में अभी और इजाफा हो सकता है. क्षेत्र में जिंदा बचे स्थानिय निवासी अपने लोगों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह की तलाश में हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट की माने तों, मारे गए ज्यादातर लोग तब मलबे में दब गए, जब उनके घर गिरे होंगे. ये घर कमजोर थे क्योंकि ये आमतौर पर चट्टानों और लकड़ियों को जमा करके बनाए जाते थे.

आसान नहीं लोगों का रेस्क्यू

जब लोगों की जान बचाने के लिए रेस्क्यू टीम ने प्रभावित क्षेत्रों तक जाने की कोशिश की, तो पहाड़ उनके लिए मुश्किल बनकर खड़े थे, क्योंकि ज्यादातर रास्तों तक केवल पैदल ही जाया जा सकता था. साथ ही भूकंप की वजह से आए भुस्खलन के कारण ज्यादातर रास्तों पर मलबा बिखरा पड़ा था, जिसके कारण रेस्क्यू टीम्स को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

हालातों पर क्या बोले नेपाली उप प्रधानमंत्री

नेपाल में आए भूकंप पर उप प्रधानमंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा की सरकार लोगों तक राहत पहुंचाने का काम कर रही है. लोग रातों रात बेघर हो गए हैं, सरकार की पूरी कोशिश है, कि लोगों तक रहने के लिए टेंट्स, खाना और दवाइयां पहुंचाई जाएं.

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