मुरादाबाद : मतदान से पहले जिलाध्यक्ष पद से हटाए गए डीपी यादव ने लाइसेंसी रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को सुसाइड नोट नहीं मिला है। घटना का कारण स्पष्ट नहीं है। वह तीन महीने से मानसिक अवसाद में चल रहे थे। डीपी यादव अधिवक्ता थे और प्रापर्टी का भी काम करते थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक गोली लगने की पुष्टि हुई है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शोक व्यक्त किया है। डीपी यादव सुबह ग्राउंड फ्लोर पर थे। उनकी पत्नी सविता यादव, बेटा अंकित यादव और बेटी अंजलि महल के ऊपरी मंजिल पर थे। सुबह सफाई के लिए नौकरानी के आने पर उन्होंने ही दरवाजा खोला। घर से बाहर आकर कुछ देर इधर-उधर टहलने के बाद लौट आए। इसी बीच उन्हें मोबाइल पर भी बात करते देखा गया। इसके बाद गेट से सटे छोटे कमरे में चले गए।
कुछ देर बाद नौकर ने कमरे को खटखटाया। कोई आवाज नहीं आने पर पैर मारकर दरवाजा खोला। सामने बेड पर वह खून में लथपथ पड़े थे। पुलिस मानसिक अवसाद के साथ प्रापर्टी में नुकसान व घरेलू विवाद आदि के बारे में भी जानकारी कर रही है। हालांकि, स्वजन घरेलू विवाद से इन्कार कर रहे हैं।
चुनाव प्रचार से रहे दूर
पंचायत चुनाव में पार्टी में गुटबाजी के चलते उनके साले जयवीर सिंह को जिलाध्यक्ष पद से हटाकर उन्हें (डीपी यादव) को जिम्मेदारी दी गई थी। लोकसभा चुनाव में उन्होंने डा. एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाने का विरोध किया था। वह रुचि वीरा के प्रचार में भी शामिल नहीं हुए।
इसकी शिकायत पर सपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें आठ अप्रैल को जिलाध्यक्ष पद से हटाकर फिर से जयवीर सिंह को जिले की जिम्मेदारी सौंप दी। चुनाव के दौरान भी उन्हें अन्य कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। डीपी यादव ने भी चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी।