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मानसून के दौरान बाढ़ से निपटने की तैयारियों की समीक्षा करेंगे गृह मंत्री अमित शाह, उच्च स्तरीय बैठक में लेंगे हिस्सा

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे। इस बैठक में मानसून के दौरान देश में बाढ़ की स्थिति से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की जाएगी। गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी। बता दें, बाढ़ ने असम में भीषण तबाही मचाई थी। लोगों के घर बारिश से गिर गए थे। लोग बाढ़ में फंस गए थे, जिसके बाद उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया। इस काम में भारतीय वायुसेना की भी मदद ली गई थी।

असम में बाढ़ ने मचाई भीषण तबाही

बता दें, हाल ही में असम में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई थी। प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ के चलते लोगों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा। बाढ़ और भूस्खलन के चलते 20 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि सात लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए।

असम के ये जिले बाढ़ से प्रभावित

गोलपारा, कछार, विश्वनाथ, बारपेटा, गोलाघाट, करीमगंज, जोरहाट, दरांग, लखीमपुर, मोरीगांव, सोनितपुर, नागांव, उदलगुरी, कामरूप, कार्बी आंगलोंग पश्चिम, माजुली और हैलाकांडी जिले में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए। इन जिलों में राहत और बचाव कार्य के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं, एसडीआरएफ, नागरिक प्रशासन और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को लगाया गया था।

इस वजह से असम में आती है बाढ़

असम के क्षेत्रफल का 56 हजार 194 वर्ग किलोमीटर ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में है। इसके अलावा, बाकी 22,224 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बराक नदी घाटी में है। इसलिए यहां पर बाढ़, मिट्टी के कटाव और भूकंप का खतरा हर वक्त बना रहता है। असम का कुल क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किलोमीटर है।

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नाकाफी हो रहे असम को बाढ़ से मुक्त करने के उपाय

असम को बाढ़ से मुक्त करने के लिए कई कदम उठाए गए, लेकिन अब तक बाढ़ से मुक्ति नहीं मिली है। असम में बाढ़ आने की सबसे बड़ी वजह ब्रह्मपुत्र नदी को माना जाता है। इसलिए साल 1980 में ब्रह्मपुत्र बोर्ड एक्ट के तहत एक बोर्ड का गठन किया गया, जिसका काम ब्रह्मपुत्र नदी पर तटबंध बनाना है। इसके तहत पिछले कुछ सालों में तटबंधों को बनाने और उनके रखरखाव पर करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

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