नोएडा। नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावरों (एपेक्स-सियान) को गिराने के लिए इंप्लोजन तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। इससे विस्फोट नियंत्रित होगा। कंपनी ने इससे पहले केरल के मराडु में भी इसी तकनीकी का प्रयोग किया था। जोहान्सबर्ग में इमारत को ध्वस्त करने में भी इसी तकनीकी का इस्तेमाल हुआ।
निकलेगा 35 हजार मीटिक टन मलबा
इसमें विस्फोट के दौरान सरिया टूटेगा नहीं, बल्कि उनका मुंह ऊपर से खुल जाएगा और डिबरीस उन्हीं के अंदर रहेंगी। इससे करीब 35 हजार मीटिक टन मलबा निकलेगा। आधे मलबे से बेसमेंट को भरा जाएगा और आधा मलबा सीएंडडी वेस्ट प्लांट भेज दिया जाएगा। वहीं मलबा भरने के बाद ऊपर से मिट्टी से कवर कर यहां पर ग्रीनरी की जाएगी।
अलग से लगाया जाएगा प्लांट
प्राधिकरण ने बताया कि सेक्टर-80 में लगे सीएंडडी वेस्ट प्लांट की क्षमता महज 300 मीटिक टन की है। यहां पहले ही काफी दबाव है। ऐसे में इस मलबे को निस्तारण के लिए अलग से प्लांट लगाने पर विचार किया जा रहा है, जिसे सेक्टर-80 में ही लगाया जाएगा। इस मलबे से तैयार टाइल्स और अन्य सामान वेस्ट कंपनी अपने प्रयोग या बेच भी सकती है।
स्ट्रक्चरल आडिट को लेकर फैसला नहीं
प्राधिकरण के निर्देश के बाद भी अभी यह तय नहीं हो सका है कि सुपरटेक के दोनों टावरों के आसपास टावरों का स्ट्रक्चरल आडिट कराया जाए या नहीं। सुपरटेक को यह आडिट कराना है। प्राधिकरण ने स्पष्ट बोला है कि यदि जरा भी शंका हो तो इसका आडिट कराया जाए। रिपोर्ट केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) को भेजी जाए।
3 माह में साफ किया जा सकेगा मलबा
दोनों टावरों को ध्वस्त करने के बाद जो मलबा साइट पर होगा उसे साफ करने में लगभग 3 महीने का वक्त लगेगा। एक माह बाद बंद ट्रकों से मलबा सीएंडडी वेस्ट प्लांट ले जाया जाएगा। यह कार्य एडफिस कंपनी द्वारा किया जाना है। इस काम में भी नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के नियमों का पालन करना होगा।